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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्वः भगवान योगेश्वर का प्राकट्योत्सव

By News Desk Sep 22, 2023
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सनातन संस्कृति में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व प्रत्येक वर्ष देश-विदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का हमारे सामाजिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक जीवन पर विशेष प्रभाव रहता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण का प्राकट्य भाद्रपद मास की काली अंधेरी रात में अष्टमी तिथि को रात 12:00 बजे हुआ था। इसी उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष इसी शुभ मुहूर्त में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व मनाने का समय कुछ इसप्रकार था- 6 सितंबर 2023 दिन बुधवार को रात 7:57 से अष्टमी तिथि लग गई थी। रोहिणी नक्षत्र भी दिन में 2:39 से प्रारंभ हो गया था। अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र दोनों एक साथ मिल जाने से गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी का पर्व 6 सितंबर 2023 को मान्य हुआ। वैष्णवजन ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी 7 सितंबर 2023 दिन गुरुवार को मनाई।

जन्माष्टमी के दिन व्रत रहने और रात में श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व है-
श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का बहुत ही अनुपम वर्णन है-
*तमद्भ‍ुतं बालकमम्बुजेक्षणं*
*चतुर्भुजं शङ्खगदाद्युदायुधम् ।*
*श्रीवत्सलक्ष्मं गलशोभिकौस्तुभं*
*पीताम्बरं सान्द्रपयोदसौभगम्॥*महार्हवैदूर्यकिरीटकुण्डलत्विषा परिष्वक्तसहस्रकुन्तलम्। उद्दामकाञ्‍च्यङ्गदकङ्कणादिभिर्विरोचमानं वसुदेव ऐक्षत॥*
अर्थात
तब वसुदेव ने उस नवजात शिशु को देखा जिनकी अद्भुत आँखें कमल जैसी थीं और जो अपने चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्म चार आयुध धारण किये थे। उनके वक्षस्थल पर श्रीवत्स का चिह्न था और उनके गले में चमकीला कौस्तुभ मणि था। वह पीताम्बर धारण किए थे, उनका शरीर श्याम घने बादल की तरह, उनके बिखरे बाल बड़े-बड़े तथा उनका मुकुट और कुण्डल असाधारण तौर पर चमकते वैदूर्यमणि के थे। वे करधनी, बाजूबंद, कंगन तथा अन्य आभूषणों से अलंकृत होने के कारण अत्यन्त अद्भुत लग रहे थे।
तात्पर्य
अद्भुतम् शब्द के समर्थन में नवजात शिशु के अलंकरण तथा ऐश्वर्य का वर्णन हुआ है। भगवान् का सुन्दर स्वरूप श्याम रंग के घने बादलों जैसा है। चतुर्भुज शब्द से स्पष्ट है कि कृष्ण पहले चार हाथों सहित भगवान् विष्णु के रूप में प्रकट हुए। मानव समाज में कोई भी सामान्य शिशु आज तक चार हाथों वाला उत्पन्न नहीं हुआ और क्या पूरी तरह बड़े बालों से युक्त कभी कोई शिशु उत्पन्न हुआ है? इसलिए भगवान् का अवतरण सामान्य शिशु के जन्म से सर्वथा भिन्न है। वैदूर्यमणि कभी नीला, कभी पीला तो कभी लाल दिखता है और वैकुण्ठलोक में उपलब्ध है। भगवान् का मुकुट तथा कुंडल इसी विशेष मणि से अलंकृत थे।

भगवान श्रीकृष्ण अखिल ब्रह्मांड नायक है संपूर्ण सत्य हैं
*सत्यं परम् धीमहि।*
जन्माष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में माखन, मिश्री,खीर,पंजीरी,दूध,दही,घी का भोग लगाकर श्री कृष्ण की भक्तिभावना पूर्वक पूजा करने से संतान की वृद्धि होती है, धन धान्य की वृद्धि होती है तथा मनुष्य दीर्घायु होता है और जीव की सद्गति हो जाती है।
*सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं सत्यस्य योनिं निहितं च सत्य।*
*सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्नाः।।*
अर्थात

हे भगवान! आप सत्य संकल्प हो क्योंकि तुम केवल परम सत्य ही नहीं बल्कि तुम ब्रह्माण्डीय अभिव्यक्ति के तीन चरणों-सृजन, स्थिति और लय में भी सत्य स्वरूप हो। तुम सबके मूल हो,यह सब भी सत्य है और इसका अंत भी हो। तुम सभी सत्यों का सार हो और तुम वे नेत्र भी हो जिससे सत्य को देखा जा सकता है। इसलिए हम तुम्हारे ‘सत्’ अर्थात् परम सत्य के शरण गत हैं, कृपया हमारी रक्षा करें।”
उपरोक्त मंत्र से श्रीकृष्ण की स्तुति करने से योगेश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं। यह पर्व हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से संबंधित है। इस त्यौहार के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के दृश्यों का नाटक, उपवास, भागवत पुराण कथा, रास लीला,कृष्णा लीला जैसे माध्यमों द्वारा मध्यरात्रि तक आयोजन किया जाता है।

*जन्माष्टमी व्रत की विशेष पूजा*
●जन्माष्टमी के दिन स्नान आदि करके मंदिर की सफाई करनी चाहिए।
●इसके बाद सभी देवताओं का आह्वान करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कीजिए।
●फिर बाद में श्रीकृष्ण की पूजा शुरू करें, श्रीकृष्ण का जल से अभिषेक करें, श्रृंगार करें और भोग लगाकर ठाकुर जी को झूला झुलायें।
●फिर रात का इंतजार करते हुए दिन भर कृष्ण मंत्रों का जाप करें। रात 12 बजे भगवान का जन्मदिन मनाना चाहिए।
●कान्हा को दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराना चाहिए।
● कन्हैया जी को नाना प्रकार के व्यंजन जैसे खीर, पंजीरी, पंचामृत,माखन, मिश्री, दूध, दही मौसमी फल आदि का भोग लगाएं।
●अंत में बाल गोपाल की आरती करते हुए मंगल गीत गाना चाहिए।
जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण तत्व प्रतिदिन की अपेक्षा एक सहस्र गुना अधिक रहता है। इस तिथि को ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करने तथा श्रीकृष्ण की उपासना भावपूर्ण करने से श्रीकृष्ण तत्व का अधिक लाभ मिलने में सहायता होती है।

*जन्माष्टमी से जुड़े रोचक तथ्य*
•हिंदू धर्म के पुराणों और शास्त्रों में जन्माष्टमी के त्यौहार को मोक्षदायी पर्व के रूप में माना गया है।
•यह हिंदुओं के श्रेष्ठ व्रत त्योहारों में से एक है।इस व्रत को व्रतराज कहते हैं। सभी व्रतों में यह व्रत सबसे उत्तम माना जाता है।
हिंदू धर्म के लोगों में ऐसी मान्यता है कि एक जन्माष्टमी का व्रत 1000 एकादशी व्रत के बराबर होता है।
•श्री कृष्ण जन्माष्टमी की मध्य रात्रि में जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग रात्रि जागरण का कार्यक्रम रखकर भगवान का भजन-कीर्तन करते हैं।
•ऐसी मान्यता हैं कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से निःसंतान दंपतियों को संतान रत्न की प्राप्ति होती है।
•जन्माष्टमी के दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में दही-हांडी की प्रतियोगिता का  आयोजन किया जाता है।
• ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से मनुष्य बीमारियों और अकाल मृत्यु से बच जाता है।
• देश भर में जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं।
•मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग झांकियां निकाली जाती हैं।
•जन्माष्टमी केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाई जाती है। जन्माष्टमी के दिन ISKON मंदिरों में विदेशी भक्तों द्वारा यह त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
जय श्रीकृष्णा

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