अतुल्य भारत चेतना
कुलभूषण गोयल
मोगा। संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह तनाव को कम करने, मूड को बेहतर बनाने और नींद में सुधार लाने का एक प्रभावी माध्यम भी है। मोगा के संगीत प्रेमी रवि मनोचा ने अपने इस जुनून को एक अनूठे रूप में साकार किया है, अपने घर को ‘संगीत महल’ में बदलकर। यह घर केवल एक आवास नहीं, बल्कि एक संगीत स्टूडियो, प्रदर्शन स्थल, और रचनात्मक केंद्र है, जहां रवि अपने संगीत के प्रति प्रेम को जीवंत करते हैं। उनके इस ‘संगीत महल’ में 85,000 से अधिक तवे, सीडी, ऑडियो, और वीडियो कैसेट्स का संग्रह है, जिसमें 1933 से लेकर वर्तमान तक के गीत और फिल्में शामिल हैं।
‘संगीत महल’ की विशेषताएं
‘संगीत महल’ रवि मनोचा के संगीत के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस घर में संगीत वाद्ययंत्र, रिकॉर्डिंग उपकरण, और एक प्रदर्शन क्षेत्र मौजूद है, जो उन्हें अपनी कला को विकसित करने और दूसरों के साथ साझा करने का अवसर प्रदान करता है। यहां नियमित रूप से संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें रवि अपने दोस्तों, संगीत प्रेमियों, और मेहमानों के साथ मिलकर विभिन्न कलाकारों की रचनाओं का आनंद लेते हैं। यह स्थान मोगा में संगीत प्रेमियों के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र बन गया है, जहां हर दिन संगीत के माध्यम से कला और भावनाओं का प्रदर्शन होता है।

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संगीत के प्रति रवि का जुनून
रवि मनोचा का संगीत के प्रति लगाव तीन साल की उम्र से ही शुरू हो गया था। उन्होंने बताया कि बचपन में वे के.एल. सहगल के गीत “इक बंगला बने न्यारा” को अपनी तोतली आवाज में “बंगला लगाओ” कहकर बार-बार सुनते थे। जब वे 12 वर्ष के थे, तब फिरोजपुर में अपने मामा के घर गए। वहां टेप मांगने पर उनकी मामी ने टेप छुपा दी, क्योंकि रवि ने पिछली बार टेप खराब कर दिया था। इस घटना ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया। गरीबी के कारण टेप खरीदने में असमर्थ होने के बावजूद, उन्होंने 10 पैसे के चिट्ठे खरीदकर अपने संगीत के शौक को पूरा किया।
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1988 में जब रवि को प्राइवेट नौकरी मिली, तब उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने शौक को भी पूरा करना शुरू किया। उसी वर्ष उन्होंने पहला टेप रिकॉर्डर खरीदा, जिसके बाद उनके संगीत संग्रह की शुरुआत हुई। आज उनके पास 85,000 के करीब तवे, सीडी, ऑडियो, और वीडियो कैसेट्स का अनूठा संग्रह है, जिसमें 1933 से लेकर अब तक की लगभग सभी प्रमुख फिल्में और गीत शामिल हैं।
मोहम्मद रफी के प्रति विशेष श्रद्धा
रवि मनोचा के ‘संगीत महल’ में हर कलाकार के जन्मदिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें शहर के संगीत प्रेमी शामिल होकर कलाकारों को याद करते हैं। खास तौर पर, मोहम्मद रफी के प्रति रवि का विशेष लगाव है। उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर 2024 को मोहम्मद रफी के जन्मदिवस के अवसर पर मुंबई से उनकी कब्र की मिट्टी मंगवाई गई। इस मिट्टी को संगीत प्रेमियों को दर्शन कराने के बाद सतलुज नदी में प्रवाहित किया गया। यह आयोजन रफी साहब के प्रति उनकी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है।
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संगीत महल में नियमित आयोजन
‘संगीत महल’ में हर दिन किसी न किसी बहाने से संगीत कार्यक्रम आयोजित होते हैं। ये कार्यक्रम स्थानीय संगीत प्रेमियों और कलाकारों को एक मंच प्रदान करते हैं, जहां वे अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। रवि ने बताया, “संगीत मेरे लिए जीवन का आधार है। यह न केवल मुझे सुकून देता है, बल्कि दूसरों को भी जोड़ता है। ‘संगीत महल’ में हर कोई संगीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है।” उनके इस प्रयास ने मोगा में संगीत के प्रति रुचि को और बढ़ाया है।
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सामुदायिक और सांस्कृतिक प्रभाव
‘संगीत महल’ मोगा में एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभरा है, जहां संगीत प्रेमी एकत्रित होकर अपनी कला और भावनाओं को साझा करते हैं। यह स्थान न केवल संगीत के प्रति रवि के जुनून को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एक व्यक्ति अपने शौक को अपने जीवन का अभिन्न अंग कैसे बना सकता है। स्थानीय निवासी हरप्रीत सिंह ने कहा, “रवि जी का ‘संगीत महल’ मोगा के लिए एक अनमोल धरोहर है। यहां आकर हमें संगीत की दुनिया में डूबने का मौका मिलता है।”
संगीत का सामाजिक महत्व
संगीत के प्रति रवि का जुनून सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जैसा कि शोध बताते हैं, संगीत तनाव को कम करने, मूड को बेहतर बनाने, और नींद में सुधार लाने में सहायक है। रवि का ‘संगीत महल’ इस बात का जीवंत उदाहरण है कि संगीत न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी लोगों को जोड़ सकता है। उनके संग्रह में शामिल 1933 से लेकर अब तक के गीत और फिल्में भारतीय सिनेमा और संगीत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है।
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भविष्य की योजनाएं
रवि मनोचा ने बताया कि वे भविष्य में ‘संगीत महल’ को और विस्तार देंगे। उनकी योजना है कि इसे एक संगीत संग्रहालय के रूप में विकसित किया जाए, जहां लोग पुराने तवे, कैसेट्स, और रिकॉर्डिंग उपकरणों को देख सकें। वे युवाओं को संगीत के प्रति प्रेरित करने के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करना चाहते हैं। रवि ने कहा, “मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी पुराने गीतों और कलाकारों की विरासत को समझे और संगीत के प्रति प्रेम विकसित करे।”