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Bahraich news; रामलीला मैदान के समीप तालाब से वन विभाग ने पकड़ा विशालकाय मगरमच्छ, क्षेत्रवासियों ने ली राहत की सांस

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

बहराइच। थाना मोतीपुर क्षेत्र के मिहींपुरवा नगर पंचायत में रामलीला मैदान के समीप एक तालाब में कई दिनों से डेरा जमाए एक विशालकाय मगरमच्छ को वन विभाग की टीम ने बुधवार, 23 जुलाई 2025 को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर लिया। इस मगरमच्छ का वजन लगभग एक क्विंटल बताया जा रहा है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने क्षेत्रवासियों में फैली दहशत को कम किया, और अब लोग राहत महसूस कर रहे हैं।

घटना का विवरण

मिहींपुरवा नगर पंचायत के रामलीला मैदान के पास स्थित तालाब में पिछले कई दिनों से एक विशालकाय मगरमच्छ देखा जा रहा था। यह तालाब भाजपा के वरिष्ठ नेता बैजू सिंह के घर के ठीक सामने है। मगरमच्छ की लगातार गतिविधियों ने स्थानीय लोगों में डर और दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। स्थानीय निवासियों ने बताया कि मगरमच्छ को तालाब के किनारे और आसपास के क्षेत्र में घूमते देखा गया, जिसके कारण लोग तालाब के पास जाने से डर रहे थे।

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स्थानीय लोगों ने तत्काल इसकी सूचना मोतीपुर वन रेंज कार्यालय को दी। सूचना मिलते ही मोतीपुर रेंज के वन कर्मियों की एक टीम, क्षेत्रीय वन अधिकारी एसके तिवारी के नेतृत्व में मौके पर पहुंची। कई घंटों की कड़ी मशक्कत और सतर्कता के साथ वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से काबू में किया। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान विशेष उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया गया ताकि मगरमच्छ और वन कर्मियों को कोई नुकसान न पहुंचे।

वन विभाग की कार्रवाई

क्षेत्रीय वन अधिकारी एसके तिवारी ने बताया कि मगरमच्छ को तालाब से सुरक्षित निकाल लिया गया है और उसे कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की नदी में छोड़ दिया गया है, जो मगरमच्छों के लिए प्राकृतिक आवास है। उन्होंने कहा, “मानसून के कारण नदियों और तालाबों में जलस्तर बढ़ने से वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवास से बाहर निकलकर मानव बस्तियों के पास पहुंच जाते हैं। इस मगरमच्छ ने भी संभवतः बढ़े हुए जलस्तर के कारण तालाब में प्रवेश किया था।” तिवारी ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि यदि वे किसी वन्यजीव को देखें, तो घबराएं नहीं और तुरंत वन विभाग को सूचना दें।

सामुदायिक प्रतिक्रिया

मगरमच्छ के रेस्क्यू के बाद क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली। स्थानीय निवासी रामचंद्र ने कहा, “पिछले कई दिनों से मगरमच्छ की मौजूदगी के कारण हम तालाब के पास नहीं जा पा रहे थे। बच्चों और मवेशियों की सुरक्षा को लेकर चिंता थी। वन विभाग ने समय रहते कार्रवाई कर हमें राहत दी।” भाजपा नेता बैजू सिंह ने भी वन विभाग की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन और वन विभाग की सतर्कता जरूरी है।

मगरमच्छों की गतिविधियों का संदर्भ

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग, जो बहराइच जिले में स्थित है, मगरमच्छों और घड़ियालों का प्राकृतिक आवास है। मानसून के दौरान नदियों और तालाबों में जलस्तर बढ़ने से ये वन्यजीव अक्सर आसपास के गांवों और तालाबों में पहुंच जाते हैं। बहराइच में पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उदाहरण के लिए, मई 2022 में मोतीपुर रेंज के बैबाही टेपरा गांव में एक मगरमच्छ तालाब में देखा गया था, जिसे वन विभाग ने रेस्क्यू कर नदी में छोड़ा था।

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हाल ही में, बाराबंकी जिले के भैसुरिया गांव में भी एक 6 फीट लंबा मगरमच्छ तालाब में देखा गया था, जिसे वन विभाग की टीम रेस्क्यू नहीं कर पाई थी क्योंकि तालाब में पानी की मात्रा अधिक थी। इस तरह की घटनाएं मानसून के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में आम हैं, क्योंकि मगरमच्छ और अन्य जल-आधारित वन्यजीव बाढ़ के कारण अपने प्राकृतिक आवास से बाहर निकल आते हैं।

वन विभाग की सलाह और अपील

एसके तिवारी ने बताया कि कतर्नियाघाट क्षेत्र में मगरमच्छों की मौजूदगी सामान्य है, क्योंकि यह क्षेत्र घाघरा और गेरुआ नदी जैसी नदियों से घिरा है, जो इन वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास हैं। उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे तालाबों और नदियों के किनारे सावधानी बरतें और बच्चों व मवेशियों को अकेले पानी के पास न जाने दें। वन विभाग ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जिस पर लोग वन्यजीवों की गतिविधियों की सूचना दे सकते हैं।

सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व

इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने न केवल क्षेत्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व के महत्व को भी रेखांकित किया। बहराइच, जो कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के लिए जाना जाता है, में मगरमच्छ, घड़ियाल, और अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है। वन विभाग की यह कार्रवाई वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने का एक उदाहरण है।

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स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया कि प्रशासन और वन विभाग को तालाबों और नदियों के आसपास नियमित निगरानी बढ़ानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को समय रहते रोका जा सके। कुछ निवासियों ने यह भी मांग की कि तालाबों के किनारे सुरक्षा जाल या चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।

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