जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नटेरन में डॉक्टरों की कमी की वजह से नगर व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। लोग स्वास्थ्य केंद्र के सिर्फ चक्कर काटकर लौट जाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नटेरन सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। जबकि इस बात से जिले के जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी अवगत हैं। इसके बावजूद समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। नटेरन में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने से लोग जिला अस्पताल जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं, या फिर उन्हें किसी झोलाछाप डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराना पड़ता है, इसके लिए उन्हें मोटी रकम देनी पड़ती है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, फिर भी ग्रामीण स्तर पर मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नटेरन में 6 डॉक्टरों का स्टॉफ होना चाहिए, लेकिन यहां मात्र 2 ही डॉक्टर्स पदस्थ हैं। उसमें से एक ने बीएमओ का चार्ज संभाल रखा है। बाकी डॉक्टर्स के पद रिक्त है, जिनकी पूर्ति अभी तक नहीं हो सकी है। फलस्वरूप स्वास्थ्य केंद्र में न तो ओपीडी ठीक से संचालित हो पाती है और न हीं यहाँ मरीजों को ठीक तरीके से इलाज मिल पाता है। इस समस्या से आए दिन क्षेत्र के लोग जूझ रहे है, जिसे स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है।नटेरन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिमाह 80 से 90 गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराए जाते हैं। महिला डॉक्टर्स की नियुक्ति न होने से यहाँ प्रसव की व्यवस्था नर्सों और दाइयों के भरोसे है।गंभीर स्थिति होने पर महिलाओं को विदिशा रिफर किया जाता है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान पर बन आती है। कुछ परिवार प्राइवेट अस्पतालों में भी जाकर इलाज कराते हैं, जिससे परिवारों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है। हालत यह है कि पीड़ित महिला इलाज की उम्मीद लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नटेरन तक आ तो जाती है, लेकिन यहाँ मजबूरी बस उन्हें पुरुष डॉक्टरों से अपना इलाज कराना पड़ता है। पुरुष डॉक्टर्स के सामने महिला इलाज से हिचकिचाती हैं। ठीक ढंग से समस्या नहीं बता पाने के चलते उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता, जिससे महिलाओं की समस्या समाप्त नहीं हो पाती। कुल मिलाकर जन समस्याओं को लेकर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि जागरूक नजर नहीं आ रहे हैं।