अतुल्य भारत चेतना
रईस अहमद
बहराइच। मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की संवेदनहीनता काफी बढ़ गई है। इस पर अंकुश के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिसके चलते आए दिन मरीजों और उनके तीमारदारों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ यही हाल गुरुवार रात को देखने को मिला।
मटेरा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत भौखारा गांव निवासी मोहिनी श्रीवास्तव (22) पत्नी अमरीश चंद्र श्रीवास्तव चार माह की गर्भवती को ब्लडिंग की शिकायत हुई तो पति ने तीन दिन पूर्व मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। महिला अस्पताल की डॉक्टर मेघा ने मरीज को देखा। इसके बाद दो से तीन दिन भर्ती कर इलाज की बात कही। इस पर पति ने पत्नी को महिला अस्पताल में भर्ती करवा दिया। गुरुवार को दिन में इलाज को लेकर महिला डॉक्टर और मरीज के पति से कहासुनी हुई। इस पर डॉक्टर नाराज हो गई। उसने मरीज को वार्ड से बेदखल करते हुए बाहर कर दिया। चार माह की गर्भवती अस्पताल के फर्श पर पड़ी दर्द से कराहती रही।

लेकिन मरीज को वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। इसकी शिकायत भी सीएमएस और प्राचार्य से हुई। लेकिन रात 12 बजे तक मरीज फर्श पर पड़ी रही। इसकी जानकारी होने पर काफी संख्या में मीडिया कर्मी पहुंच गए। इसके बाद रात एक बजे मरीज को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर मरीज के पति ने अस्पताल में मौजूद मीडिया कर्मियों से मदद की मांग की। इससे डॉक्टर और नाराज हो गई। इसके बाद हाल से बाहर करते हुए मरीज को जीने के पास लेत्व दिया। जब इस बात की जानकारी प्राचार्य डॉ संजय खत्री को हुई और उनके हस्तक्षेप पर मरीज को बेड मुहैय्या हो सका।
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