
!! सबके राम !!
जग के पालनहारे राम
संत जनों के प्यारे राम
निश्छल मन से जो भी सुमिरै
सबके मन में बसते राम
कौशल्या के नंदन बनकर,
चाँद खिलौना लेते राम
शिव धनुष की प्रत्यंचा बाँधें
जनक सुता सीता के राम
दशरथ के वचनों को थामे
कैकयी की कसमों के राम
शबरी के जूठे बेर खाकर
हर भाव-भेद मिटाते राम
केवट जब-जब चरण पखारे
भव से पार उतारें राम
भाई भरत का मान बढ़ाते
चरण पादुका में बसते राम
अरण्य वन में सिया बिन तड़पे,
जटायु से पता पूछते राम !
गिलहरी का वंदन करते,
अहिल्या तारणहारे राम
रामसेतु की महिमा अद्भुत,
पत्थर भी तैराते राम
हनुमान के हृदय में बसते
भक्त वत्सल रघुनंदन राम
महिमा राम की पता न हो तो,
कहकर देखो जय सियाराम
भक्तों के मन मन्दिर में
सदा विराजे जय श्रीराम
!! जय श्रीराम !!
-एड. अमिता सिंह “अपराजिता”

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