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मातृ दिवस विशेष (mother’s day special): सलाम है एक ऐसी मां को…

By News Desk May 11, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
पूनम (हिसार-हरियाणा)

अपने छोटे बच्चे की देखभाल के लिए बच्चे को कार्यस्थल पर ले जा कर नौकरी करते हमने बहुत सी माँओं को देखा या सुना है। लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं देखा होगा कि एक माँ जिसने उन बच्चों को जन्म भी न दिया हो और फिर भी उनकी देखभाल के लिए हर वक्त साथ लेकर काम पर निकलती है। वो काम भी पैसे कमाने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक श्रम दान के लिए। ये एक बहुत ही अनोखी बात है। गाँव शिकारपुर, जिला- हिसार (हरियाणा) की रहने वाली कुमारी सीमा एक ऐसी ही मां है। आप हैरान रह जाएंगे ये जानकर कि वो हर साल कम से कम 30-40 बच्चों को पाल पोषकर उनकी दुनियां में छोड़ती है। हर साल में दो सीजन ऐसे रहते हैं जिनमें जानवर बच्चे देते हैं पहला मार्च-अप्रैल का और दूसरा अक्तूबर-नवंबर का। इन सीजन में कुछ बच्चे किसी कारणवश अनाथ हो जाते हैं या अपने माता-पिता से बिछड़ जाते हैं, तो ऐसे बच्चों का मसीहा बनती है सीमा और एक माँ की तरह उनकी देखभाल करती है।

गौरैया, तोता, कबूतर, फाख्ता और चिड़िया की अनेकों प्रजातियां, बिल्ली, गिलहरी यहां तक चूहा आदि सबको एक नया जीवन देती हैं। जब तक वह बच्चे खुद से खाने-पीने लायक न हो जाते हो तब तक वह अपने पास रखती हैं और उसके बाद वह उनको उनकी दुनिया में आजाद कर देती हैं।


जो बच्चे खुद से खाने पीने तो लगते हैं लेकिन अभी भी उनको देखभाल की जरूरत रहती है ऐसे बच्चों का घर पर खाने-पीने का अरेंजमेंट कर वह उन बच्चों को अपने साथ लेकर निकल जाती है। जो खुद से नहीं खा पी पाते और जिनको हर एक या दो घंटे में खाना खिलाने की जरूरत रहती है। एनिमल एड फाउंडेशन ट्रस्ट टीम हिसार व हिसार के आसपास के बेसहारा जानवरों का निःशुल्क इलाज करते हैं और सीमा भी इस टीम की सदस्या है। वो भी मूक प्राणियों का इलाज करने जाती है, साथ ही प्रयत्न संस्था हिसार टीम जो कि गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती है उस संस्था से जुड़कर वह स्लम एरिया के बच्चों की शिक्षा के लिए अपना योगदान दे रही है इसके अलावा महिलाओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य पर भी काम कर रही है और इन सारे काम के दौरान वह उन बेजुबान छोटे बच्चों को हर समय अपने साथ रखती है और उनकी देखभाल करती है। इन छोटे प्यारे बच्चों की देखभाल का काम वो बचपन से ही कर रही है और अबतक अनेकों अनाथ बच्चों को नया जीवनदान दे चुकी हैं। उनको देखकर मुझे लगता है कि माँ सिर्फ जन्म देकर ही नहीं बना जा सकता। माँ बनने के लिए किसी के प्रति मां जैसी अनुभति, प्रेम और समर्पण जरूरी है। और वो माँ जैसी अनुभूति, प्रेम समर्पण मुझे सीमा में नजर आता है इन बेजुबान जीवों के लिए। सलाम है एक ऐसी मां को…

-पूनम, हिसार (हरियाणा)

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