270 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा
अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक एवं पौराणिक नगरी रतनपुर जो कभी लगभग 800 वर्षों से दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ की राजधानी रही है। यहां के राजाओं ने अपने अपने शासन काल में प्रजा को सुखी एवं संपन्न बनाने विभिन्न आस्थाओं एवं परंपराओं को जन्म दिया। इसमें मराठा शासन की कुछ परंपराए आज भी जीवित है।

आस्था एवं परंपराओं के अंतर्गत रामनवमी की रात्रिकालिन करैहापारा से निकाले जाने वाली हनुमान जी की पारंपरिक शोभायात्रा यहां की एक अनूठी परंपरा है। लगभग 270 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। रामटेकरी रामपंचायतन मंदिर में स्थित हनुमान जी की चंदन काष्ठ से निर्मित सिद्ध मूर्ति को अष्टमी तिथि को यहां लाई जाती है और रामनवमी की रात्रि पालकी में सजाकर शोभायात्रा निकाली जाती है।

इस बीच संपूर्ण करैहापारा मोहल्ले के साथ जिस मार्ग से यह यात्रा गुजरती है, लोगों की आस्था देखते ही बनती है। संपूर्ण करैहापारा, महामाया पारा, बाजार पारा, रजहापारा से गुजरते हुए श्री राम भजन गाते टोली के संग सुबह 4:00 बजे यह शोभायात्रा रामटेकरी राम मंदिर पहुंचती है ,जहां हनुमान जी श्री राम का दर्शन कर वहीं विराजित हो जाते हैं। इस परंपरा के पीछे ऐसी मान्यता है कि श्रीराम नवमी श्रीराम जन्म के समय हनुमान जी भगवान श्री राम जी के समक्ष नहीं रहते और इसीलिए यह परंपरा चलाई गई जो अब तक चलते आ रही है।
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