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Rupaidiha news; रुपईडीहा में देहात इंडिया संस्था की धर्मगुरुओं के साथ बैठक, बाल विवाह रोकने पर जोर

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

रुपईडीहा/बहराइच। देहात इंडिया संस्था द्वारा ग्राम राम बक्शपुरवा में धर्मगुरुओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य समाज में बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए धार्मिक नेतृत्व की भूमिका को सुदृढ़ करना था। बैठक में धर्मगुरुओं और संस्था के कार्यकर्ताओं ने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा की।

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बाल विवाह: कानूनन अपराध और सामाजिक चुनौती

देहात इंडिया संस्था की कार्यकर्ता नीरज श्रीवास्तव ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बाल विवाह न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक भविष्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। नीरज ने यह भी अपील की कि यदि किसी गांव में बाल विवाह की जानकारी मिले, तो तुरंत इसकी सूचना संस्था या स्थानीय प्रशासन को दी जाए, ताकि समय रहते इसे रोका जा सके।

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धर्मगुरुओं का संकल्प: जागरूकता के लिए प्रवचन

बैठक में उपस्थित धर्मगुरुओं ने बाल विवाह के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लिया। घसीटे दास महाराज ने कहा, “विवाह के नाम पर किसी भी नाबालिग की शादी करना उचित नहीं है। समाज को जागरूक करना हमारी भी जिम्मेदारी है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि वे अपने प्रवचनों, धार्मिक कार्यक्रमों और सभाओं में बाल विवाह विरोधी संदेश को प्रमुखता से शामिल करेंगे, ताकि समाज में जागरूकता फैले और यह कुप्रथा समाप्त हो।

बैठक में सक्रिय भागीदारी

बैठक में देहात इंडिया संस्था के कार्यकर्ता पवन कुमार, सरिता श्रीवास्तव, नीरज श्रीवास्तव, निर्मला जी के साथ-साथ धर्मगुरु छोटे लाल, भगवानदास, करवारी दास सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने एकजुट होकर बाल विवाह के खिलाफ अभियान को गति देने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रतिबद्धता जताई।

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सामाजिक सुधार की दिशा में कदम

देहात इंडिया संस्था का यह प्रयास सामाजिक सुधार और जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए धार्मिक नेतृत्व और सामाजिक संगठनों का सहयोग आवश्यक है। यह बैठक न केवल स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि समाज में बच्चों के अधिकारों और उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रभावी साबित होगी।

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