अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक नगरी रतनपुर में 10 अगस्त 2025 को भादो मास के प्रथम दिन लोक पर्व भोजली बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। यह पारंपरिक पर्व मानवता, भाईचारे, और वीरता का प्रतीक है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करता है। रतनपुर के करैहापारा मोहल्ले में द्वितीय वर्ष भोजली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें मोहल्ले की माताओं, बच्चों, और ग्रामवासियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस आयोजन ने लुप्त हो रही इस परंपरा को पुनर्जनन देने का प्रयास किया।
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भोजली पर्व का महत्व
भोजली पर्व छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है, जो ऐतिहासिक वीर योद्धाओं आल्हा-ऊदल, पृथ्वीराज चौहान, और परमाल की वीरता को याद दिलाता है। इस पर्व में गांव और मोहल्ले की महिलाएं और बच्चे 15 दिन पहले गेहूं और जौ के दाने बोकर भोजली तैयार करते हैं। इस दौरान प्रतिदिन मोहल्लों और सार्वजनिक स्थानों पर आदिकाल के महान कवि जगनिक द्वारा रचित ‘आल्हा खंड’ का विशेष शैली में गायन होता है। भादो मास के पहले दिन सभी अपनी-अपनी भोजली को एक स्थान पर लाकर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर जलाशय में श्रद्धा और प्रेम भाव के साथ विसर्जन करते हैं। पहले यह पर्व मितान (मित्रता) का प्रतीक था, जिसे बच्चे जीवन भर निभाते थे, लेकिन आधुनिकता के प्रभाव में यह परंपरा लुप्त होने की कगार पर है।

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करैहापारा में भोजली प्रतियोगिता
रतनपुर के सबसे बड़े मोहल्ले करैहापारा में भोजली पर्व को जीवंत रखने के लिए द्वितीय वर्ष भोजली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में मोहल्ले की माताओं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रथम, द्वितीय, तृतीय, और सांत्वना पुरस्कार वितरित किए गए। पुरस्कार वितरण के बाद भोजली का रत्नेश्वर तालाब में विधि-विधान के साथ विसर्जन किया गया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षित करने का प्रयास था, बल्कि सामुदायिक एकता और प्रेम का भी प्रतीक बना।
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पुरस्कार वितरण
भोजली प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार पूनम धीवर की टीम को प्राप्त हुआ, जिसे वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद हकीम मोहम्मद ने 1500 रुपये प्रदान किए। द्वितीय पुरस्कार 1001 रुपये वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद सूरज कश्यप ने बड़की धीवर को दिया। तृतीय पुरस्कार 751 रुपये पूर्व पार्षद रामकुमार कश्यप ने काजल धीवर को प्रदान किया। सांत्वना पुरस्कार भरत दास साहब और परस केवट की ओर से बिसाहीन धीवर को दिया गया। इन पुरस्कारों ने प्रतिभागियों में उत्साह और प्रेरणा का संचार किया।

आयोजन में सहभागिता
कार्यक्रम में वार्ड क्रमांक 12 के पार्षद हकीम मोहम्मद, वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद सूरज कश्यप, और मोहल्ले के वरिष्ठ नागरिकों में शिवकुमार धीवर, पंडित गजेश तिवारी, घासी राम कश्यप, रामसनेही कश्यप, नारायण धीवर, और पुरुषोत्तम कश्यप सहित सैकड़ों महिलाएं, पुरुष, और बच्चे उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रमोद कश्यप और नारायण धीवर ने किया, जिन्होंने आयोजन को सुचारू और व्यवस्थित रूप से संपन्न कराया।
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सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
भोजली पर्व छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है, जो सामुदायिक एकता, प्रेम, और भाईचारे को बढ़ावा देता है। करैहापारा में आयोजित इस प्रतियोगिता ने न केवल इस परंपरा को पुनर्जनन दिया, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन आधुनिकता के चकाचौंध में लुप्त हो रही परंपराओं को संरक्षित करने का एक सशक्त प्रयास साबित हुआ।
समुदाय की प्रतिक्रिया
रतनपुर के निवासियों ने इस आयोजन की जमकर सराहना की। कई लोगों ने इसे सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का एक प्रेरणादायक कदम बताया। हकीम मोहम्मद ने कहा, “भोजली पर्व हमारी संस्कृति और एकता का प्रतीक है। इस तरह के आयोजन नई पीढ़ी को हमारी परंपराओं से जोड़ते हैं।” सूरज कश्यप ने भी इस आयोजन को सामुदायिक एकता और प्रेम का उत्सव करार दिया।

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रतनपुर के करैहापारा में आयोजित भोजली पर्व और प्रतियोगिता ने न केवल सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत रखा, बल्कि सामुदायिक एकता और भाईचारे को भी मजबूत किया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक शानदार उदाहरण बना।