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Bahraich News; हादसे के 24 घंटे बाद भी रेलवे की लापरवाही: राम जानकी वार्ड में तालाबनुमा गड्ढों ने ली दो मासूमों की जान, सुरक्षा इंतजाम नदारद

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

रुपैडिहा/बहराइच। बहराइच जिले के रुपैडिहा नगर पंचायत के राम जानकी वार्ड नंबर 10 में 30 जुलाई 2025 को एक दुखद हादसे में दो मासूम बच्चियों, नैना (10 वर्ष) और वैष्णवी (12 वर्ष), की तालाबनुमा गड्ढों में डूबने से मौत हो गई। यह गड्ढे रेलवे स्टेशन निर्माण कार्य के लिए खोदे गए थे, जो लगातार बारिश के कारण जलाशयों में तब्दील हो चुके हैं। हादसे के 24 घंटे बाद भी रेलवे प्रशासन ने इन गड्ढों को सुरक्षित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है। निवासियों ने तत्काल सुरक्षा इंतजाम, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई, और पीड़ित परिवारों को मुआवजे की मांग की है। यह घटना रेलवे की लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती है।

हादसे का विवरण

30 जुलाई 2025 को राम जानकी वार्ड नंबर 10 में रेलवे स्टेशन निर्माण से संबंधित खोदे गए गड्ढों में बारिश का पानी जमा होने के कारण दो बच्चियां, नैना और वैष्णवी, डूब गईं। स्थानीय लोगों के अनुसार, ये गड्ढे रेलवे द्वारा स्टेशन निर्माण के लिए मिट्टी निकालने के दौरान खोदे गए थे। बारिश के कारण ये गड्ढे गहरे जलाशयों में बदल गए हैं, जो बच्चों और जानवरों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। हादसे के समय आसपास कोई चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग, या निगरानी व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण यह दुखद घटना घटी।

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हादसे ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी। नैना और वैष्णवी की मौत ने स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया, और लोग रेलवे प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ आक्रोशित हैं।

रेलवे की लापरवाही

हादसे के 24 घंटे बाद, 31 जुलाई 2025 को, जब स्थानीय लोगों ने घटनास्थल का दौरा किया, तो उन्होंने पाया कि गड्ढों के आसपास कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए हैं। न तो चेतावनी बोर्ड लगाए गए, न ही बैरिकेडिंग की गई, और न ही कोई कर्मचारी निगरानी के लिए तैनात था। स्थानीय निवासी राम अवतार ने कहा, “रेलवे ने इन गड्ढों को खोदने के बाद कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए। अगर समय रहते बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड लगाए गए होते, तो शायद हमारी बच्चियों की जान बच सकती थी।”

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लगातार बारिश के कारण ये गड्ढे और गहरे हो गए हैं, जिससे खतरा और बढ़ गया है। मौसम विभाग के अनुसार, बहराइच सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अगस्त 2025 में भारी बारिश का अनुमान है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

स्थानीय लोगों की मांगें

हादसे के बाद स्थानीय समुदाय ने रेलवे प्रशासन और जिला प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं:

  1. तत्काल सुरक्षा इंतजाम: गड्ढों के आसपास बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड, और निगरानी कर्मियों की तैनाती तुरंत की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
  2. दोषियों पर कार्रवाई: रेलवे अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही की जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
  3. पीड़ित परिवारों को मुआवजा: नैना और वैष्णवी के परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता और उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।

स्थानीय निवासी सुनीता देवी ने कहा, “ये गड्ढे अब तालाब बन चुके हैं। बच्चे और जानवर आसानी से इसमें फंस सकते हैं। रेलवे को तुरंत इन गड्ढों को भरना चाहिए या इन्हें सुरक्षित करना चाहिए।” समुदाय ने यह भी मांग की कि रेलवे भविष्य में निर्माण कार्यों के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करे।

रेलवे की उदासीनता और पूर्व घटनाएं

रेलवे की यह लापरवाही कोई नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश में हाल के वर्षों में कई रेल हादसे और निर्माण से जुड़ी घटनाएं सामने आई हैं, जो सुरक्षा उपायों की कमी को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, गोंडा में जुलाई 2025 में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के डिरेलमेंट में तीन लोगों की मौत हो गई थी, और जांच में रेलवे की लापरवाही सामने आई थी। इसी तरह, वाराणसी में ट्रेन की चपेट में आने से एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी।

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रुपैडिहा में यह हादसा रेलवे की निर्माण प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों की अनदेखी का एक और उदाहरण है। स्थानीय लोगों ने बताया कि रेलवे स्टेशन निर्माण कार्य के लिए ठेकेदारों ने बिना किसी सुरक्षा योजना के गड्ढे खोदे, जिसके परिणामस्वरूप यह दुखद हादसा हुआ।

प्रशासनिक और सामाजिक प्रभाव

नैना और वैष्णवी की मौत ने न केवल उनके परिवारों, बल्कि पूरे राम जानकी वार्ड और रुपैडिहा समुदाय को गहरे शोक में डुबो दिया। यह घटना रेलवे और स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाती है। बहराइच, जो भारत-नेपाल सीमा के पास एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सामाजिक केंद्र है, में इस तरह की घटनाएं स्थानीय लोगों के बीच असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं।

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जिला प्रशासन से भी मांग की गई है कि वह रेलवे के साथ समन्वय कर इन गड्ढों को तत्काल सुरक्षित करे। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा, “रेलवे और प्रशासन की लापरवाही ने दो मासूमों की जान ले ली। अब और देरी नहीं होनी चाहिए। इन गड्ढों को या तो भर दिया जाए या उनकी पूरी तरह से बैरिकेडिंग की जाए।”

मुआवजे की मांग

पीड़ित परिवारों ने मुआवजे की मांग की है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति को कुछ राहत मिल सके। उत्तर प्रदेश में पूर्व की घटनाओं में, जैसे गोंडा ट्रेन हादसे में, सरकार ने मृतकों के परिवारों को 2-3.5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया था। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि नैना और वैष्णवी के परिवारों को भी कम से कम इतनी ही राशि प्रदान की जाए, ताकि वे इस दुखद नुकसान से उबर सकें।

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समापन

रुपैडिहा के राम जानकी वार्ड में हुए इस दुखद हादसे ने रेलवे की लापरवाही और सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर किया है। नैना और वैष्णवी की मौत ने न केवल उनके परिवारों, बल्कि पूरे समुदाय को गहरा आघात पहुंचाया है। स्थानीय लोगों की मांग है कि रेलवे तत्काल इन तालाबनुमा गड्ढों को सुरक्षित करे, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे, और पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान करे। यह घटना रेलवे और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों का पालन और समय पर कार्रवाई कितनी आवश्यक है। बहराइच प्रशासन और रेलवे को इस मामले में त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां रोकी जा सकें।

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