अतुल्य भारत चेतना
रईस
बहराइच। नानपारा तहसील में आयोजित तहसील समाधान दिवस में 65 वर्षीय वृद्ध राम मूरत ने अपने दस्तावेजों के साथ उपस्थित होकर उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) से मार्मिक गुहार लगाई, “साहब, अभी हम जिंदा हैं, मुझे समाज कल्याण से पेंशन दिलवा दीजिए।” नानपारा तहसील के ककरी गांव निवासी राम मूरत को समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2023 में कागजों में मृत घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दी। दो वर्षों तक विभागीय अधिकारियों से जिंदा होने का प्रमाण देने की कोशिश के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। हताश और निराश राम मूरत ने समाजवादी पार्टी (सपा) की महिला नेत्री नसीबुन निशा से मदद मांगी, जिनके सहयोग से वे तहसील समाधान दिवस में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे। इस मामले ने समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
राम मूरत की फरियाद
4 अगस्त 2025 को नानपारा तहसील में आयोजित तहसील समाधान दिवस में राम मूरत ने अपने दस्तावेजों के साथ एसडीएम लालधर यादव के समक्ष अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2023 में उन्हें कागजों में मृत घोषित कर उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी। राम मूरत ने कहा, “मैंने कई बार समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर अपने जिंदा होने का प्रमाण दिया, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी विभाग के अभिलेखों में मुझे जीवित नहीं किया गया।” उनकी यह मार्मिक गुहार, “साहब, अभी हम जिंदा हैं,” उपस्थित लोगों के लिए भावनात्मक और विभागीय लापरवाही को उजागर करने वाली थी।
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राम मूरत की आर्थिक स्थिति कमजोर है, और पेंशन उनकी आजीविका का एकमात्र सहारा थी। पेंशन बंद होने से उनकी दैनिक जरूरतें प्रभावित हुई हैं, जिसके कारण वे गहरे संकट में हैं। उनकी इस स्थिति ने न केवल उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाया, बल्कि सरकारी तंत्र की गलतियों के कारण आम नागरिकों को होने वाली परेशानियों को भी सामने लाया।
सपा नेत्री का सहयोग
राम मूरत की परेशानी को देखते हुए समाजवादी पार्टी की महिला नेत्री और नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष नसीबुन निशा ने उनकी मदद की। उन्होंने राम मूरत को तहसील समाधान दिवस में अपनी शिकायत दर्ज करने की सलाह दी और उनके साथ तहसील कार्यालय पहुंचीं। नसीबुन निशा के सहयोग ने राम मूरत को अपनी बात प्रशासन के सामने रखने का साहस दिया। उन्होंने कहा, “राम मूरत जैसे लोगों की परेशानियां प्रशासन तक पहुंचनी चाहिए, ताकि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।” नसीबुन निशा की सक्रियता ने इस मामले को तहसील समाधान दिवस में प्रमुखता से उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एसडीएम का आश्वासन
राम मूरत की शिकायत सुनने के बाद एसडीएम नानपारा लालधर यादव ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि राम मूरत का शिकायती प्रार्थना पत्र प्राप्त हो गया है और समाज कल्याण विभाग को इस मामले की जांच करने के निर्देश दे दिए गए हैं। एसडीएम ने कहा, “जो भी इस गलती के लिए जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।” उन्होंने राम मूरत को आश्वस्त किया कि उनकी पेंशन जल्द से जल्द बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
समाज कल्याण विभाग की लापरवाही
राम मूरत का मामला समाज कल्याण विभाग की लापरवाही को उजागर करता है। विभाग द्वारा बिना उचित सत्यापन के उन्हें कागजों में मृत घोषित करना और दो वर्षों तक इस त्रुटि को सुधारने में असफल रहना गंभीर प्रशासनिक चूक को दर्शाता है। इस तरह के मामले देश के विभिन्न हिस्सों में पहले भी सामने आए हैं, जैसे हापुड़ में राजेंद्र सिंह और कुशीनगर में जगदीस के मामले, जहां पेंशन धारकों को कागजों में मृत दिखाकर उनकी पेंशन बंद कर दी गई थी।
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राम मूरत ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “साहब के विभाग में बाबू हमें कब अपने रजिस्टर में जिंदा दिखाएंगे, यह पता नहीं। लेकिन मैं अपने को जिंदा साबित करके रहूंगा।” उनकी यह बात न केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई को दर्शाती है, बल्कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करती है।
तहसील समाधान दिवस का महत्व
तहसील समाधान दिवस उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों की शिकायतों का त्वरित समाधान करना है। इस मंच ने राम मूरत जैसे लोगों को अपनी समस्याएं प्रशासन के सामने रखने का अवसर प्रदान किया। नानपारा तहसील में आयोजित इस समाधान दिवस में अन्य कई शिकायतें भी दर्ज की गईं, लेकिन राम मूरत का मामला अपनी मार्मिकता और प्रशासनिक लापरवाही के कारण विशेष रूप से चर्चा में रहा।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
राम मूरत का मामला समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे सरकारी तंत्र की छोटी सी चूक किसी व्यक्ति की आजीविका को प्रभावित कर सकती है। इस तरह के मामले न केवल विभागीय जवाबदेही की कमी को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, जैसे वृद्धावस्था पेंशन, को लागू करने में अधिक सावधानी और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
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नसीबुन निशा जैसे सामाजिक नेताओं की सक्रियता और तहसील समाधान दिवस जैसे मंचों ने आम लोगों को अपनी आवाज उठाने का अवसर प्रदान किया है। यह मामला अन्य पेंशन धारकों के लिए भी एक प्रेरणा हो सकता है, जो समान समस्याओं से जूझ रहे हैं।
समापन
नानपारा तहसील समाधान दिवस में राम मूरत की फरियाद ने समाज कल्याण विभाग की लापरवाही को सामने लाया। उनकी मार्मिक गुहार, “साहब, अभी हम जिंदा हैं,” न केवल उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि सरकारी तंत्र में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। एसडीएम लालधर यादव के आश्वासन और जांच के निर्देशों से उम्मीद जगी है कि राम मूरत की पेंशन जल्द बहाल होगी। यह घटना प्रशासन को यह स्मरण कराती है कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक समय पर और सही ढंग से पहुंचना चाहिए।