अतुल्य भारत चेतना
रईस
रुपैडिहा/बहराइच। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 4 अगस्त 2025 को श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर प्रांगण, रुपैडिहा में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया, जिसमें एबीवीपी की रुपैडिहा इकाई का गठन किया गया। यह आयोजन दो सत्रों में संपन्न हुआ, जिसमें पहले सत्र में छात्रों के मौलिक अधिकारों, परिषद के प्रारंभिक संघर्षों, और इकाई गठन पर चर्चा हुई, जबकि दूसरे सत्र में नई इकाई के पदाधिकारियों की नियुक्ति और संगठन को मजबूत करने का संकल्प लिया गया। इस आयोजन ने क्षेत्र के छात्रों में राष्ट्रवाद और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को जागृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
बैठक का प्रथम सत्र
पहले सत्र में एबीवीपी के नेतृत्व ने छात्रों को संगठन के उद्देश्यों और इतिहास से परिचित कराया। इस सत्र में छात्रों के मौलिक अधिकारों, जैसे शिक्षा तक पहुंच, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और सुरक्षित परिसर, पर विस्तृत चर्चा हुई। रणवीर गुप्ता (ऋषभ), जिला सह संयोजक, बहराइच, ने एबीवीपी के प्रारंभिक संघर्षों और 1949 में इसके गठन के पीछे के उद्देश्य, विशेष रूप से विश्वविद्यालय परिसरों में साम्यवादी प्रभाव को संतुलित करने की आवश्यकता, पर प्रकाश डाला।
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विवेक कुमार शुक्ल, एडवोकेट, ने छात्रों को संगठन की कार्यप्रणाली और जमीनी स्तर पर कार्य करने के महत्व के बारे में बताया। जिला एसएफएस प्रमुख धर्मवीर सिंह सेंगर ने एबीवीपी की छात्र हितैषी गतिविधियों, जैसे शैक्षिक सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनों, पर जोर दिया। इस सत्र ने छात्रों में संगठन के प्रति उत्साह और जिम्मेदारी की भावना पैदा की।
रुपैडिहा इकाई का गठन
दूसरे सत्र में रुपैडिहा इकाई का औपचारिक गठन किया गया। इस दौरान निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की घोषणा हुई:
अध्यक्ष: अभिषेक त्रिवेदी
मंत्री: रोहन कुमार
सह-मंत्री: आकाश और शिवम
एसएफएस प्रमुख: मार्कण्डेय सिंह
नगर आंदोलन प्रमुख: अंकित वैश्य
नवनियुक्त पदाधिकारियों ने संगठन को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर छात्रों के मुद्दों को उठाने का संकल्प लिया। अभिषेक त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा, “हमारा लक्ष्य रुपैडिहा में छात्रों के हितों की रक्षा करना और राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करना है। हम शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक मुद्दों पर सक्रियता से काम करेंगे।”
एबीवीपी का परिचय और उद्देश्य
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भारत का एक प्रमुख छात्र संगठन है, जिसकी स्थापना 1949 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता बलराज मधोक की पहल पर हुई थी। इसका प्राथमिक उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसरों में साम्यवादी प्रभाव को संतुलित करना था। वर्तमान में, एबीवीपी 50 लाख से अधिक सदस्यों के साथ विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। इसका नारा “ज्ञान, शील और एकता, परिषद की विशेषता” छात्रों में शिक्षा, नैतिकता, और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
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एबीवीपी शैक्षिक सुधार, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, और सामाजिक जागरूकता जैसे मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम करता है। संगठन ने 1970 के दशक से निम्न मध्यम वर्ग के मुद्दों, जैसे भ्रष्टाचार और सरकारी निष्क्रियता, को भी उठाया है। रुपैडिहा इकाई का गठन स्थानीय स्तर पर इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।
संकल्प और भविष्य की दिशा
बैठक के अंत में सभी छात्रों और नवनियुक्त पदाधिकारियों ने एबीवीपी को और मजबूत करने का संकल्प लिया। उन्होंने विशेष रूप से छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने और शिक्षा से संबंधित मुद्दों, जैसे शुल्क वृद्धि, परिसर सुरक्षा, और शैक्षिक गुणवत्ता, पर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। रणवीर गुप्ता ने कहा, “रुपैडिहा इकाई का गठन बहराइच में एबीवीपी की उपस्थिति को और मजबूत करेगा। हम छात्रों के हितों के लिए निरंतर संघर्ष करेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।”
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समापन और प्रभाव
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित यह बैठक रुपैडिहा में एबीवीपी की नई शुरुआत का प्रतीक रही। इकाई गठन और नवनियुक्त पदाधिकारियों की घोषणा ने स्थानीय छात्रों में उत्साह का संचार किया। यह आयोजन न केवल संगठन की स्थानीय उपस्थिति को मजबूत करने में सफल रहा, बल्कि छात्रों में राष्ट्रवाद, शिक्षा, और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करने में भी महत्वपूर्ण रहा।