अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का मनोरा गांव, जो मिनी जगन्नाथपुरी के नाम से विख्यात है, हर वर्ष आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा मेले का गवाह बनता है। इस वर्ष 25 जून 2025 को आयोजित इस मेले में लाखों श्रद्धालु भगवान जगदीश स्वामी, देवी सुभद्रा, और बलभद्र के दर्शन के लिए उमड़े। इस अवसर पर निकटवर्ती ग्राम सीहोद के निवासी खुशाल सिंह राजपूत ने अपनी निस्वार्थ समाजसेवा से सभी का दिल जीत लिया। उन्होंने और उनके सहयोगी ग्रामवासियों ने बिना किसी स्वार्थ के हजारों श्रद्धालुओं को पूड़ी, सब्जी, और अचार का भोजन परोसकर भगवान जगन्नाथ की सेवा में अनूठा योगदान दिया।
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भगवान जगन्नाथ मनोरा मेला और सीहोद गांव
विदिशा से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सीहोद एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम शायद ही कई लोग जानते हों। लेकिन इस वर्ष के मनोरा मेले में इस गांव के निवासी खुशाल सिंह राजपूत ने अपनी निस्वार्थ समाजसेवा से इसे यादगार बना दिया। मनोरा मेला, जो 195 वर्षों से भगवान जगन्नाथ के भक्त मानिकचंद और उनकी पत्नी पद्मावती को दिए गए वचन को निभाने का प्रतीक है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मेले में भगवान जगदीश, सुभद्रा, और बलभद्र के रथों के दर्शन के लिए श्रद्धालु मीलों दूर से दंडवत करते हुए पहुंचते हैं।
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खुशाल सिंह राजपूत की निस्वार्थ सेवा
मेले के दौरान, जब बच्चे, बुजुर्ग, और युवा भोजन की तलाश में भीड़ में भटक रहे थे, खुशाल सिंह राजपूत ने अपने सीमित साधनों के बावजूद एक विशाल भंडारे का आयोजन किया। उन्होंने और उनके कुछ सहयोगी ग्रामवासियों ने बिना किसी मेहनताने की अपेक्षा के हजारों लोगों को पूड़ी, सब्जी, और अचार का स्वादिष्ट भोजन परोसा। यह भोजन भगवान जगन्नाथ का प्रसाद बनकर श्रद्धालुओं की भूख शांत करने का माध्यम बना।

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खुशाल सिंह की इस सेवा भावना ने सभी को प्रभावित किया। भोजन ग्रहण करने वाले श्रद्धालुओं ने उन्हें और उनके सहयोगियों को खूब आशीर्वाद दिया, जिससे खुशाल अभिभूत हो गए। उन्होंने और अधिक उत्साह के साथ प्रसाद वितरण का कार्य जारी रखा। इस भंडारे में कोई कमी नहीं आई, और ऐसा प्रतीत हुआ मानो भगवान जगन्नाथ स्वयं इस नेक कार्य में अपनी कृपा बरसा रहे हों।
समाजसेवा में स्वार्थ की जगह भक्ति
आज के समय में, जब समाजसेवा अक्सर दिखावे, आर्थिक लाभ, या राजनीतिक हितों से प्रेरित होती है, खुशाल सिंह राजपूत का यह कार्य एक मिसाल बन गया। उनकी सेवा में न तो कोई स्वार्थ था, न ही नाम चमकाने की चाह। उनका एकमात्र उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के भक्तों की सेवा और उनकी भूख मिटाना था। इस भंडारे में शामिल होने वाले जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री बी.डी. अहिरवाल और उनके परिवार ने भी पूड़ी-सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया और इसे अत्यंत स्वादिष्ट और भक्ति से परिपूर्ण बताया। श्री अहिरवाल ने कहा, “यह भोजन केवल भोजन नहीं, बल्कि भगवान का प्रसाद है, जो मन को आनंद और शांति प्रदान करता है।”
सामुदायिक एकता का प्रतीक
खुशाल सिंह के साथ ग्राम सीहोद के अन्य निवासियों ने भी इस भंडारे में सहयोग किया। बच्चे, युवा, और बुजुर्ग सभी ने मिलकर भोजन तैयार करने और परोसने में हाथ बटाया। यह सामुदायिक एकता और भक्ति का अनूठा संगम था, जो न केवल मेले के श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान करने में सफल रहा, बल्कि समाज में निस्वार्थ सेवा की भावना को भी प्रेरित करता है।

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मेले का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मनोरा का भगवान जगन्नाथ मेला विदिशा जिले का एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है। यह मेला 195 वर्षों से निरंतर आयोजित हो रहा है, जो भगवान जगन्नाथ के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा को दर्शाता है। मेले में रथयात्रा के दौरान भगवान जगदीश, सुभद्रा, और बलभद्र के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। इस वर्ष भी मेला उत्साह और भक्ति के साथ संपन्न हुआ, जिसमें सीहोद गांव की यह सेवा पहल एक विशेष आकर्षण रही।
सामाजिक संदेश
खुशाल सिंह राजपूत और उनके सहयोगियों की यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश देती है। जहां एक ओर लोग समाजसेवा को अपने निजी हितों के लिए उपयोग करते हैं, वहीं सीहोद जैसे छोटे से गांव में निस्वार्थ भाव से की गई यह सेवा साबित करती है कि सच्ची भक्ति और सेवा का आधार केवल मानवता और धर्म के प्रति समर्पण है। इस भंडारे ने न केवल श्रद्धालुओं की भूख मिटाई, बल्कि उनके मन में भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा और विश्वास को और गहरा किया।
प्रशासन की उपस्थिति
जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री बी.डी. अहिरवाल और उनके परिवार की उपस्थिति ने इस आयोजन को और विशेष बना दिया। उनकी मौजूदगी ने इस बात को रेखांकित किया कि प्रशासन भी इस तरह की सामुदायिक और धार्मिक पहलों का सम्मान करता है। अहिरवाल ने खुशाल सिंह और उनकी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी निस्वार्थ सेवा समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।

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ग्राम सीहोद में भगवान जगन्नाथ मनोरा मेले के दौरान खुशाल सिंह राजपूत द्वारा आयोजित यह भंडारा न केवल एक सामाजिक कार्य था, बल्कि भक्ति, एकता, और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन गया। इस आयोजन ने साबित किया कि सच्ची सेवा का कोई स्वार्थ नहीं होता, और भगवान जगन्नाथ की कृपा से ऐसे नेक कार्यों में कभी कमी नहीं आती। यह प्रयास न केवल सीहोद गांव, बल्कि पूरे विदिशा जिले के लिए गर्व का विषय है।