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Vidisha news; जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का लाइव उद्बोधन विदिशा में देखा-सुना गया

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अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी

विदिशा। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशन में 30 मार्च से 30 जून 2025 तक संचालित जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन समारोह 30 जून को जिला स्तर पर विदिशा में आयोजित किया गया। जिला पंचायत के सभा कक्ष में आयोजित इस कार्यक्रम में खंडवा में हुए प्रदेश स्तरीय समापन समारोह का सीधा प्रसारण किया गया। एलईडी स्क्रीन और साउंड सिस्टम के माध्यम से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का लाइव उद्बोधन जिला पंचायत सभा कक्ष में उपस्थित अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, और कर्मचारियों ने देखा और सुना।

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समापन समारोह का आयोजन

विदिशा जिला पंचायत के सभा कक्ष में आयोजित समापन समारोह में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता रघुवंशी, शमशाबाद विधायक सूर्य प्रकाश मीणा, कलेक्टर अंशुल गुप्ता, जिला पंचायत सीईओ ओ.पी. सनोडिया, विभिन्न विभागों के अधिकारी, उपयंत्री, सरपंच, सचिव, और रोजगार सहायक उपस्थित रहे। इस अवसर पर जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत विदिशा जिले में किए गए कार्यों को प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों के योगदान को रेखांकित किया गया।

विदिशा में अभियान के कार्य

जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत विदिशा जिले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, उद्यानिकी विभाग, वन विभाग, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र, स्कूल शिक्षा विभाग, जल संसाधन विभाग, और मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद ने महत्वपूर्ण कार्य किए। इन कार्यों में शामिल हैं:

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जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार: जिले में पुराने कुओं, बावड़ियों, तालाबों, और अन्य जल स्रोतों की सफाई और मरम्मत।

नई जल संरचनाएँ: खेत तालाब, स्टॉप डैम, और अमृत सरोवर जैसी संरचनाओं का निर्माण।

जल संरक्षण जागरूकता: पंचायत स्तर पर “पानी चौपाल” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों और ग्रामीणों को जल संरक्षण और कम पानी वाली फसलों की खेती के लिए प्रेरित किया गया।

वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण: जल स्रोतों के आसपास देसी प्रजातियों के पौधरोपण को बढ़ावा।

स्वच्छता और जल शुद्धिकरण: स्वच्छ भारत मिशन-2.0 के तहत गंदे नालों को शुद्ध करने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना।

इन प्रयासों ने जिले में भूजल स्तर में सुधार, कृषि के लिए सिंचाई की उपलब्धता, और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मुख्यमंत्री का लाइव उद्बोधन

खंडवा में आयोजित प्रदेश स्तरीय समापन समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जल संरक्षण हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। इस अभियान ने मध्य प्रदेश में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप दिया है।” उन्होंने खंडवा जिले की विशेष रूप से प्रशंसा की, जिसने 1.29 लाख जल संरचनाओं का निर्माण कर देश भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस अभियान के तहत 57,207 जल संरचनाएँ मनरेगा के माध्यम से और 888 संरचनाएँ वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बनाई गईं, जिनकी कुल लागत 578 करोड़ और 63.46 करोड़ रुपये थी।

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मुख्यमंत्री ने जनसहभागिता को इस अभियान की सफलता का आधार बताया और भविष्य में भी जल संरक्षण के प्रयासों को जारी रखने का आह्वान किया। विदिशा में उपस्थित लोगों ने उनके उद्बोधन को ध्यानपूर्वक सुना और जिले में इस दिशा में और अधिक कार्य करने का संकल्प लिया।

विदिशा में अभियान की उपलब्धियाँ

जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत विदिशा जिले में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। इनमें शामिल हैं:

अमृत सरोवर योजना: जिले में कई अमृत सरोवरों का निर्माण और जीर्णोद्धार।

खेत तालाब: किसानों के खेतों में तालाब निर्माण को बढ़ावा, जिससे सिंचाई और भूजल स्तर में सुधार हुआ।

जल स्रोतों का पुनर्जनन: पुराने तालाबों और कुओं की सफाई और गहरीकरण।

जागरूकता कार्यक्रम: स्कूलों और गाँवों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कार्यशालाएँ और चौपाल।

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इन प्रयासों ने न केवल जल संकट को कम करने में मदद की, बल्कि जिले की हरियाली और कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाया।

समापन समारोह का महत्व

जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित यह समारोह विदिशा जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान की सफलता का उत्सव था। उपस्थित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इस अभियान को एक जन आंदोलन के रूप में अपनाने और भविष्य में भी इसे जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। जिला पंचायत अध्यक्ष गीता रघुवंशी ने कहा, “जल संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के लिए आवश्यक है, और विदिशा जिला इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाएगा।” यह समापन समारोह विदिशा के लिए न केवल जल संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि यह जिले की जनता और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों का भी प्रतीक बना।

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