अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। कान्हा की नगरी मथुरा के रिफाइनरी नगर में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े धूमधाम और भक्ति भाव के साथ निकाली गई। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और “जय जगन्नाथ” के जयघोष से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। रथ को खींचकर और भगवान की एक झलक पाकर भक्त निहाल हो गए।

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रथ यात्रा का शुभारंभ
रथ यात्रा का आयोजन गोकुलेश्वर महादेव मंदिर से शुरू हुआ, जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को रथ पर विराजमान कर पूजन-अर्चन किया गया। मथुरा रिफाइनरी के कार्यकारी निदेशक और रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल को इस पावन अवसर पर राजा का दायित्व सौंपा गया। परंपरानुसार, उन्होंने रथ के चारों ओर झाड़ू लगाकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। इस दौरान भक्तों में अपार उत्साह देखा गया।
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भक्तिमय वातावरण और सांस्कृतिक प्रदर्शन
रथ यात्रा में उड़ीसा से आए कलाकारों ने वाद्य यंत्रों के साथ मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं। उनकी सुमधुर धार्मिक ध्वनियों और भक्ति नृत्यों ने रथ यात्रा के वातावरण को और अधिक भक्तिमय बना दिया। भक्तजन इन प्रस्तुतियों को देखकर और सुनकर आनंदित हुए। रथ यात्रा रिफाइनरी नगर के इनर रिंग रोड से होते हुए शॉपिंग सेंटर स्थित रानी गुंडिचा मौसी के मंदिर तक पहुंची।
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नौ दिवसीय उत्सव और बाहुड़ा यात्रा
परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा रानी गुंडिचा मौसी के मंदिर में 9 दिनों तक विराजमान रहेंगे। इसके बाद 5 जुलाई को बाहुड़ा यात्रा होगी, जिसमें भगवान अपने भाई-बहन के साथ रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए पुनः गोकुलेश्वर महादेव मंदिर लौटेंगे। इस अवसर पर भक्तों ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
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आयोजन और सामुदायिक सहभागिता
इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन उड़ीसा समाज, मथुरा द्वारा किया गया। समाज के लोगों ने मिलकर इस आयोजन को सुव्यवस्थित और भव्य रूप प्रदान किया। यात्रा में शामिल भक्तों ने भगवान जगन्नाथ के प्रति अपनी अटूट आस्था और उत्साह का प्रदर्शन किया। रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिससे यह आयोजन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और सफल रहा।
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भक्ति और आस्था का प्रतीक
मथुरा रिफाइनरी नगर में निकली यह रथ यात्रा न केवल भक्ति और आस्था का प्रतीक थी, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का भी शानदार उदाहरण बनी। भगवान जगन्नाथ की यह यात्रा कान्हा की नगरी में भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई।