अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
छिंदवाड़ा। माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, छिंदवाड़ा, सुशांत हुद्दार के निर्देशन में और सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राकेश सिंह की उपस्थिति में मोहखेड़ विकास खंड के ग्राम खुनाझिर कला के पंचायत भवन में 28 मई 2025 को नालसा की “नशा पीड़ितों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं योजना 2015” के तहत एक विधिक साक्षरता और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कानून की जानकारी प्रदान करना और उनकी जीवनशैली में सुधार के लिए प्रेरित करना था।

नशे की लत: सामाजिक बुराई और इसके दुष्परिणाम
कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री राकेश सिंह ने उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन एक सामाजिक बुराई के रूप में फैल रहा है, जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। उन्होंने बताया कि नशे की लत न केवल व्यक्ति को बीमार बनाती है, बल्कि उसके पूरे परिवार को बिखरने की कगार पर ला देती है। इससे बच्चों की शिक्षा और प्रगति पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
श्री सिंह ने नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार और उपयोग पर कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति या बालक को मादक द्रव्यों, स्वापक औषधियों या मादक प्रभावी पदार्थों के विक्रय, क्रय-विक्रय, भंडारण, आपूर्ति या तस्करी में शामिल करने अथवा बच्चों को नशीले पदार्थ देने जैसे कृत्यों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे अपने क्षेत्र को नशा मुक्त बनाने और नशीले पदार्थों से दूर रहने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

पॉक्सो एक्ट और बच्चों के संरक्षण की जानकारी
कार्यक्रम में विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य श्यामल राव ने उपस्थित महिलाओं को बच्चों के नैतिक और सांस्कृतिक विकास पर जोर देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल में नैतिक शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे गलत दिशा में न भटकें।
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श्री राव ने पॉक्सो एक्ट 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत बच्चों के शोषण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि शोषण में शारीरिक चोट पहुंचाना, भावनात्मक और शाब्दिक शोषण, मानसिक शोषण, बच्चों की बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा और यौन शोषण जैसे अनुचित व्यवहार शामिल हैं। उन्होंने उपस्थित महिलाओं को इन प्रावधानों को समझने और बच्चों की सुरक्षा के लिए जागरूक रहने की आवश्यकता पर बल दिया।

सामुदायिक सहयोग और आयोजन की सफलता
कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला एवं बाल विकास, मोहखेड़ विकास खंड की पर्यवेक्षक रीतू कोड़ापे, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता ठाकरे, वंदना शेंडे और शीला धुर्वे का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। इन सभी ने ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करने और कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्रिय भूमिका निभाई।
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यह विधिक साक्षरता और जागरूकता कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं को नशे के दुष्प्रभावों और कानूनी प्रावधानों से अवगत कराने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। पॉक्सो एक्ट की जानकारी ने बच्चों के संरक्षण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई। इस तरह के आयोजन न केवल ग्रामीण समुदाय को सशक्त बनाते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी सहायक होते हैं। उपस्थित महिलाओं ने नशा मुक्त समाज और बच्चों की सुरक्षा के लिए सक्रिय योगदान देने का संकल्प लिया।