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रईस
बहराइच। एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आई.जी.आर.एस.) के तहत सन्दर्भ निस्तारण में शिथिलता बरतने के कारण बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), जरवल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। जिला प्रशासन ने सीडीपीओ जरवल का मई 2025 का वेतन अग्रिम आदेशों तक बाधित कर दिया है और उन्हें तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के साथ-साथ डिफाल्टर शिकायत का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करने का निर्देश दिया है।
प्रकरण का विवरण
आई.जी.आर.एस. के सन्दर्भ संख्या 92518000021537, दिनांक 08 मई 2025, का निस्तारण सीडीपीओ जरवल द्वारा निर्धारित समयावधि में नहीं किया गया, जिसके कारण यह प्रकरण डिफाल्टर की श्रेणी में दर्ज हो गया। इस लापरवाही के परिणामस्वरूप जिले की रैकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई का निर्णय लिया।
प्रशासन की कार्रवाई
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने सीडीपीओ जरवल के मई 2025 के वेतन को अग्रिम आदेशों तक बाधित करने का आदेश जारी किया। साथ ही, उन्हें तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने और डिफाल्टर शिकायत की गुणवत्तापूर्ण निस्तारण आख्या को पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कार्रवाई प्रशासन की ओर से सन्दर्भ निस्तारण में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आई.जी.आर.एस. का महत्व
एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आई.जी.आर.एस.) उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य नागरिकों की शिकायतों का त्वरित और प्रभावी निस्तारण करना है। इस प्रणाली के तहत शिकायतों को समयबद्ध तरीके से हल करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। डिफाल्टर प्रकरण जिले की रैकिंग और प्रशासनिक कार्यकुशलता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिसे गंभीरता से लिया जाता है।
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जिला प्रशासन का रुख
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सन्दर्भ निस्तारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा, “सीडीपीओ जरवल की लापरवाही से न केवल शिकायतकर्ता को असुविधा हुई, बल्कि जिले की रैकिंग भी प्रभावित हुई। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई आवश्यक है।” उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में शिकायतों का निस्तारण समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से किया जाए।
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सीडीपीओ जरवल के खिलाफ की गई इस कार्रवाई ने प्रशासन की सख्ती और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया है। सन्दर्भ निस्तारण में शिथिलता न केवल शिकायतकर्ताओं के लिए परेशानी का कारण बनती है, बल्कि प्रशासनिक विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती है। जिला प्रशासन की इस पहल से उम्मीद की जाती है कि अन्य अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगे और शिकायत निवारण प्रणाली को और प्रभावी बनाएंगे।