अतुल्य भारत चेतना
रईस
रुपईडीहा/बहराइच। अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्र रुपईडीहा में स्थित बाल स्वरूप हनुमान मंदिर में मंगलवार को बड़े मंगल के पावन अवसर पर भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। इस धार्मिक आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में हनुमान जी के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया। सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा, और भक्ति-भाव से भरा वातावरण भजन-कीर्तन की मधुर स्वर लहरियों से गूंज उठा।
भंडारे का आयोजन
बड़े मंगल के अवसर पर आयोजित भंडारा मंदिर के बाहर सुचारू और अनुशासित रूप से संपन्न हुआ। आयोजकों ने श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखते हुए पानी, छाया, और बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की। भंडारे में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट प्रसाद वितरित किए गए, जिन्हें श्रद्धालुओं ने भक्ति-भाव के साथ ग्रहण किया। मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और हनुमान चालीसा के पाठ ने वातावरण को और अधिक पवित्र और भक्तिमय बना दिया।
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आयोजन का नेतृत्व
इस धार्मिक आयोजन का सफल संचालन मंदिर के महंत जानकी प्रसाद की देखरेख में किया गया। उनके मार्गदर्शन में गज्जू सोनी, संजय सोनी, अशीष, राम, शंकर सहित कई सहयोगियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। आयोजकों की मेहनत और समर्पण के कारण यह आयोजन निर्बाध रूप से संपन्न हुआ, और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा।

श्रद्धालुओं की भक्ति
सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। स्थानीय निवासियों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों और इंडो-नेपाल सीमा से आए श्रद्धालुओं ने भी हनुमान जी के दर्शन किए। भक्ति-भाव से ओतप्रोत श्रद्धालुओं ने हनुमान जी की पूजा-अर्चना की और बड़े मंगल के महत्व को याद किया। कई श्रद्धालुओं ने बताया कि बड़े मंगल का यह अवसर उनके लिए आध्यात्मिक शांति और भक्ति का विशेष अवसर होता है।
बड़े मंगल का महत्व
बड़े मंगल का पर्व विशेष रूप से हनुमान जी की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा और भंडारे में भाग लेने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रुपईडीहा के बाल स्वरूप हनुमान मंदिर में यह आयोजन हर वर्ष बड़े मंगल पर भव्य रूप से मनाया जाता है, जो क्षेत्र में भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है।
आयोजन की विशेषताएं
- भारी संख्या में श्रद्धालु: हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया।
- भक्ति-मय वातावरण: भजन-कीर्तन और हनुमान चालीसा के पाठ ने मंदिर परिसर को भक्ति-भाव से सराबोर कर दिया।
- सुचारू व्यवस्था: आयोजकों ने पानी, छाया, और प्रसाद वितरण की व्यवस्था को अनुशासित और व्यवस्थित बनाए रखा।
- सामुदायिक सहयोग: स्थानीय सहयोगियों और आयोजकों के समर्पण ने आयोजन को सफल बनाया।
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रुपईडीहा के बाल स्वरूप हनुमान मंदिर में बड़े मंगल के अवसर पर आयोजित भंडारा और दर्शन का यह आयोजन भक्ति, एकता, और सामाजिक समरसता का प्रतीक रहा। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और भक्ति-मय वातावरण ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। महंत जानकी प्रसाद और उनकी टीम के प्रयासों से यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित हुआ। यह आयोजन भविष्य में भी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा और आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत बना रहेगा।