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भारत-पाकिस्तान युद्ध में S-400 वायु रक्षा प्रणाली की भूमिका

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भारत-पाकिस्तान युद्ध में S-400 वायु रक्षा प्रणाली की भूमिका:

हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव, विशेष रूप से मई 2025 में “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद, भारत की उन्नत वायु रक्षा प्रणाली S-400 ट्रायम्फ को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया। रूस द्वारा निर्मित यह प्रणाली, जिसे भारत ने “सुदर्शन चक्र” नाम दिया है, ने पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समाचार लेख में, हम S-400 की तकनीकी क्षमताओं, भारत-पाकिस्तान संघर्ष में इसके उपयोग, और इसके रणनीतिक महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

S-400 ट्रायम्फ: तकनीकी अवलोकन

S-400 ट्रायम्फ, रूस की अल्माज़-एंटे कंपनी द्वारा विकसित, दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल प्रणालियों में से एक है। इसे 1980 के दशक के अंत में डिज़ाइन किया गया था ताकि यह अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम का मुकाबला कर सके और पुराने S-200 और S-300 सिस्टम को प्रतिस्थापित कर सके। भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर (लगभग ₹35,000 करोड़) के सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसमें पांच स्क्वाड्रन की आपूर्ति शामिल थी। पहली यूनिट की डिलीवरी 2021 में शुरू हुई, और अब तक चार स्क्वाड्रन भारत में तैनात किए जा चुके हैं, मुख्य रूप से पंजाब, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, और गुजरात में।

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प्रमुख विशेषताएँ:

  • रेंज और लक्ष्य: S-400 चार प्रकार की मिसाइलों (40N6E, 48N6E3, 9M96E2, और 9M96E) का उपयोग करता है, जिनकी रेंज 40 से 400 किलोमीटर तक है। यह 100 से 40,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों, जैसे लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल, और बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट कर सकता है।
  • रडार क्षमता: इसका रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक 300 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है, जिससे यह अत्यधिक सटीक और प्रभावी है।
  • गतिशीलता: S-400 को 8×8 ट्रकों पर माउंट किया जा सकता है, जिससे इसे तेजी से तैनात करना और स्थानांतरित करना आसान हो जाता है। यह -50°C से +70°C के तापमान में भी काम कर सकता है।
  • मल्टी-लेयर रक्षा: यह प्रणाली एक साथ 72 मिसाइलें दाग सकती है, जिससे यह बड़े पैमाने पर हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है।

ऑपरेशन सिंदूर और S-400 का पहला उपयोग

7-8 मई 2025 की रात, पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों, जिनमें जम्मू, श्रीनगर, अमृतसर, लुधियाना, पठानकोट, और भुज शामिल थे, पर ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए। ये हमले “ऑपरेशन सिंदूर” के जवाब में थे, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था।

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भारतीय वायुसेना ने पहली बार S-400 सिस्टम को सक्रिय रूप से तैनात किया, जिसने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, S-400 ने अवंतीपोरा, पठानकोट, और चंडीगढ़ सहित कई स्थानों पर हमलों को नाकाम किया। इसकी तीव्र प्रतिक्रिया और सटीकता ने इसे भारत का “सुदर्शन कवच” साबित किया।

उल्लेखनीय उपलब्धियाँ:

  • 50+ ड्रोन नष्ट: जम्मू, उधमपुर, सांबा, और पठानकोट जैसे क्षेत्रों में भारतीय सेना ने S-400 और अन्य काउंटर-ड्रोन सिस्टमों का उपयोग करके 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन नष्ट किए।
  • मिसाइल अवरोधन: 8 मई को, S-400 ने जम्मू में एक एयरस्ट्रिप पर दागे गए आठ पाकिस्तानी मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया।
  • लाहौर में जवाबी कार्रवाई: भारतीय बलों ने पाकिस्तान के लाहौर में एक एयर डिफेंस सिस्टम को निष्प्रभावी कर दिया, जिससे पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को भारी नुकसान पहुंचा।

S-400 बनाम पाकिस्तान का HQ-9

पाकिस्तान ने अपने हवाई हमलों में चीन निर्मित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग किया, लेकिन यह S-400 की तुलना में कम प्रभावी साबित हुआ।

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  • रेंज: HQ-9 की रेंज लगभग 200 किलोमीटर है, जबकि S-400 400 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकता है।
  • लक्ष्य ट्रैकिंग: HQ-9 की लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमता के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है, लेकिन S-400 300 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है।
  • तकनीकी विश्वसनीयता: S-400 की सफलता ने चीनी तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ा।

रणनीतिक महत्व

S-400 की तैनाती ने भारत की हवाई रक्षा को अभूतपूर्व रूप से मजबूत किया है, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों से उत्पन्न होने वाले खतरों के संदर्भ में।

  • पाकिस्तान के खिलाफ: S-400 ने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन रणनीति को निष्प्रभावी कर दिया, जिससे भारत को जवाबी कार्रवाई में बढ़त मिली।
  • चीन के लिए संदेश: चीन, जो स्वयं S-400 का उपयोग करता है, इसकी सफलता से सतर्क हो गया है, क्योंकि यह चीनी तकनीक (जैसे HQ-9) की सीमाओं को उजागर करता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: S-400 की उपस्थिति ने भारत को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया, जिससे विरोधी देशों के लिए हवाई हमले जोखिम भरे हो गए हैं।

भविष्य की संभावनाएँ: S-500 का प्रस्ताव

S-400 की सफलता के बाद, रूस ने भारत को S-500 प्रणाली के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव दिया है। S-500, जो अंतरिक्ष में उपग्रहों को भी नष्ट कर सकता है, 600 किलोमीटर की रेंज और मैक-20 की गति से 10 लक्ष्यों को एक साथ निशाना बनाने की क्षमता रखता है। यह भारत की रक्षा क्षमताओं को और बढ़ा सकता है, विशेष रूप से अंतरिक्ष-आधारित खतरों के खिलाफ।

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S-400 ट्रायम्फ ने मई 2025 के भारत-पाकिस्तान तनाव में अपनी असाधारण क्षमता साबित की, जिससे भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका उजागर हुई। इसकी उन्नत तकनीक, तीव्र प्रतिक्रिया, और बहु-स्तरीय रक्षा क्षमता ने इसे भारत का “सुदर्शन चक्र” बनाया है। जैसे-जैसे भारत S-500 जैसे और उन्नत सिस्टमों की ओर बढ़ रहा है, यह स्पष्ट है कि S-400 ने न केवल वर्तमान खतरों को नाकाम किया है, बल्कि भविष्य की रक्षा रणनीतियों के लिए एक मजबूत आधार भी स्थापित किया है।

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