अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
विदिशा। जिले के नटेरन क्षेत्र में संजय सागर नहर का चल रहा सीसी (कंक्रीट) निर्माण कार्य गुणवत्ता के मामले में गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय ग्रामीणों और किसानों का आरोप है कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग और एस्टीमेट के अनुरूप मानकों का पालन न होने के कारण नहर का ढांचा कमजोर हो रहा है। यह स्थिति भविष्य में किसानों के लिए गंभीर परेशानियों का कारण बन सकती है। नहर में पानी का स्थाई प्रवाह शुरू होने पर जगह-जगह टूटने की समस्या सामने आ रही है, जिससे किसानों को समय पर अपने खेतों तक पानी पहुंचाने में कठिनाई हो रही है। इस मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से त्वरित हस्तक्षेप की मांग उठ रही है।
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निर्माण कार्य में अनियमितताएं
नटेरन क्षेत्र में संजय सागर नहर के सीसी निर्माण कार्य की गुणवत्ता को लेकर ग्रामीणों ने कई शिकायतें दर्ज की हैं। उनका कहना है कि नहर की दीवारों और फर्श में उपयोग की जा रही सामग्री निम्न स्तर की है, जिसके कारण संरचना मजबूत नहीं हो पा रही। इसके अलावा, निर्माण कार्य में एस्टीमेट के अनुसार डिजाइन और तकनीकी मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा लागत कम करने के लिए घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है, जिसका खामियाजा अंततः किसानों को भुगतना पड़ेगा।
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किसानों की परेशानियां
संजय सागर नहर का उद्देश्य नटेरन क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त और समय पर पानी उपलब्ध कराना है। हालांकि, नहर की खराब गुणवत्ता के कारण यह उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। जब नहर में पानी का स्थाई प्रवाह शुरू होता है, तो कमजोर संरचना के कारण जगह-जगह दरारें पड़ने और टूटने की घटनाएं सामने आती हैं। इससे पानी का रिसाव होता है और खेतों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पाता। किसानों का कहना है कि ऐसी स्थिति में उनकी फसलें समय पर सिंचाई के अभाव में नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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ग्रामीणों की मांग
स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने इस मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच के लिए एक स्वतंत्र तकनीकी समिति गठित की जाए, जो नहर के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री और मानकों की पड़ताल करे। इसके साथ ही, दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों का यह भी सुझाव है कि निर्माण कार्य को पूरा करने से पहले नियमित निरीक्षण और गुणवत्ता परीक्षण अनिवार्य किया जाए।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की भूमिका
इस मामले में जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही पर भी सवाल उठ रहे हैं। किसानों का कहना है कि नहर निर्माण की प्रगति और गुणवत्ता की निगरानी के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है। नटेरन क्षेत्र के किसान श्री रामप्रसाद लोधी ने कहा, “हमने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो नहर किसानों के लिए वरदान के बजाय अभिशाप बन जाएगी।
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संभावित समाधान
किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- गुणवत्ता जांच: नहर निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए स्वतंत्र इंजीनियरों की एक समिति गठित की जाए।
- नियमित निरीक्षण: निर्माण कार्य के दौरान नियमित निरीक्षण और गुणवत्ता परीक्षण को अनिवार्य किया जाए।
- ठेकेदारों की जवाबदेही: घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
- किसानों की भागीदारी: निर्माण प्रक्रिया में स्थानीय किसानों और ग्रामीणों को शामिल कर उनकी राय ली जाए।
- तकनीकी सुधार: नहर की संरचना को मजबूत करने के लिए उन्नत तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया जाए। संजय सागर नहर का निर्माण नटेरन क्षेत्र के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जो उनकी कृषि और आजीविका को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, घटिया गुणवत्ता और अनियमितताओं के कारण यह परियोजना अपनी उपयोगिता खो रही है। यह आवश्यक है कि जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि और संबंधित विभाग इस मामले को गंभीरता से लें और त्वरित सुधारात्मक कदम उठाएं। समय पर कार्रवाई न केवल किसानों की समस्याओं को हल करेगी, बल्कि इस परियोजना को एक सफल मॉडल के रूप में स्थापित करेगी।