अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। नगर का सबसे बड़ा मोहल्ला करैहापारा का बेदपारा सदैव नगरपालिका के उपेक्षा का शिकार रहा है। समस्याओं का यहां अंबार है। इसी नाम से लगता है नगरपालिका ने इसे खाल्हेपारा का नाम दे रखा है। जबकि इसी मोहल्ले में सोलहवीं सदी में राजा रत्नसेन द्वारा खुदवाए ऐतिहासिक बेद एवं रत्नेश्वर तालाब है जिसके तट पर ऐतिहासिक रत्नेश्वर महादेव मंदिर एवं ऐतिहासिक कबीर आश्रम स्थित है साथ ही और भी कई तालाब है जिससे नगरपालिका को प्रति वर्ष लाखों की आमदनी होती है मगर विकास के नाम से यह मोहल्ला हमेशा से पिछड़ा हुआ है यहां मूलभूत सुविधाओं नाली, पानी, बिजली की समस्या से भी लोग जुझते रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: सिबिल स्कोर क्या होता है? इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी!
इसे भी पढ़ें: सिबिल स्कोर डाउन होने पर भी 25 से 50 हजार रुपए का लोन तुरंत कैसे प्राप्त करें?

शायद समस्याओं से जुझना ही यहां की नियति है। काफी वर्षों के मांग के पश्चात 40 साल पुराने बेद तालाब से मौली माता मंदिर चौक के बीच नाली का पुनर्निर्माण कुछ दिन पहले शुरू किया गया है वह भी आधा काम पूरा करने के बाद बीच के लगभग 100 मीटर नाली को केवल खुदाई कर रोक दिया गया है। जिससे लोगों को चलने फिरने में परैशानी हो रही है। ठेकेदार का कहना है कि नगरपालिका में किये गए काम के बिल का पैसा नहीं निकल रहा है नाली के मद का पैसा अन्य मद में खर्च कर दिया गया है।
इसे भी पढ़ें: Loan DSA के रूप में करें कॅरियर की शुरुआत, कमाएं ₹1 लाख तक प्रतिमाह
पैसा की कमी के वजह से काम को रोका गया है। नगर पालिका की लापरवाही एवं ठेकेदार की समस्या के चलते आम जनता परेशान है। मोहल्ले के लोगों ने नाली निर्माण को शीघ्र पूर्ण करने की मांग की है।