अतुल्य भारत चेतना | परमार अश्विन कुमार
चांदोद, 16 अप्रैल 2025: गुजरात के पवित्र धार्मिक स्थल चांदोद में बुधवार, दिनांक 16 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण जल रेस्क्यू प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में वडोदरा के सिविल डिफेंस, गुजरात रेलवे पुलिस (जीआरपी), और होमगार्ड के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य बाढ़, नदी में डूबने की घटनाओं, और अन्य जल-संबंधी आपदाओं के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए आवश्यक कौशल और तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान करना था।


प्रशिक्षण का आयोजन और उद्देश्य
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चांदोद, जो नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जल रेस्क्यू प्रशिक्षण के लिए एक उपयुक्त स्थान साबित हुआ। नर्मदा नदी के तेज प्रवाह और गहराई को देखते हुए, यह प्रशिक्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। इस शिविर का आयोजन गुजरात आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और वडोदरा जिला प्रशासन के सहयोग से किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य न केवल कर्मचारियों को जल रेस्क्यू तकनीकों से परिचित कराना था, बल्कि आपदा प्रबंधन में उनकी तत्परता और समन्वय को भी बढ़ाना था।


प्रशिक्षण में शामिल गतिविधियाँ
प्रशिक्षण के दौरान कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें शामिल थे:
- तैराकी और जल प्रवाह में नेविगेशन: प्रतिभागियों को तेज जल प्रवाह में तैरने और सुरक्षित रूप से नेविगेट करने की तकनीक सिखाई गई।
- रेस्क्यू उपकरणों का उपयोग: लाइफ जैकेट, रस्सियाँ, लाइफबॉय, और inflatable boats जैसे उपकरणों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया।
- प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर: डूबने वाले व्यक्ति को बचाने के बाद प्राथमिक चिकित्सा और कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- टीम समन्वय और संचार: आपदा के दौरान विभिन्न दलों के बीच प्रभावी संचार और समन्वय की रणनीतियाँ सिखाई गईं।
- मॉक ड्रिल: प्रशिक्षण के अंत में एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने नकली आपदा परिदृश्य में रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रदर्शन किया।
जल रेस्क्यू क्या है?
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जल रेस्क्यू एक विशेष प्रकार का आपदा प्रबंधन और बचाव कार्य है, जिसमें जल-संबंधी खतरों जैसे बाढ़, नदी या समुद्र में डूबने, या नाव पलटने जैसी घटनाओं में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जाता है। यह एक जटिल और जोखिम भरा कार्य है, जिसमें प्रशिक्षित कर्मचारियों, विशेष उपकरणों, और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता की आवश्यकता होती है।
जल रेस्क्यू की प्रमुख विशेषताएँ:
- तकनीकी कौशल: जल रेस्क्यू में तैराकी, डाइविंग, और रस्सी बचाव जैसी तकनीकों का उपयोग होता है।
- उपकरण: लाइफ जैकेट, रेस्क्यू ट्यूब, रस्सियाँ, inflatable boats, और ड्रोन जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
- प्रशिक्षण: रेस्क्यू कर्मियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ प्राथमिक चिकित्सा और आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है।
- जोखिम प्रबंधन: जल रेस्क्यू में तेज धाराएँ, गहरा पानी, और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियाँ जोखिम बढ़ाती हैं, इसलिए सावधानी और रणनीति महत्वपूर्ण होती है।
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को सुरक्षित निकालना और उनकी जान बचाना है, साथ ही बचाव कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
जल रेस्क्यू के प्रकार:
- स्विफ्ट वाटर रेस्क्यू: तेज बहाव वाली नदियों या बाढ़ में बचाव कार्य।
- फ्लैट वाटर रेस्क्यू: झीलों या शांत जलाशयों में बचाव।
- फ्लड रेस्क्यू: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को निकालना।
- सर्फ रेस्क्यू: समुद्र तटों पर लहरों और ज्वार-भाटा में फंसे लोगों का बचाव।
प्रशिक्षण का महत्व
गुजरात, जहां नर्मदा, तापी, और साबरमती जैसी प्रमुख नदियाँ हैं, बाढ़ और जल-संबंधी आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके अलावा, चांदोद जैसे धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण नदी में डूबने की घटनाएँ भी सामने आती हैं। ऐसे में जल रेस्क्यू प्रशिक्षण न केवल आपदा प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय समुदाय और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
प्रतिभागियों और अधिकारियों का योगदान
प्रशिक्षण में शामिल सिविल डिफेंस, जीआरपी, और होमगार्ड के कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। वडोदरा के जिला कलेक्टर ने इस अवसर पर कहा, “यह प्रशिक्षण हमारे कर्मचारियों को आपदा के समय त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सक्षम बनाएगा। चांदोद जैसे स्थानों पर ऐसी तैयारियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।” प्रशिक्षण के समन्वयक और सिविल डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस तरह के शिविर भविष्य में भी नियमित रूप से आयोजित किए जाएँगे।
चांदोद में आयोजित जल रेस्क्यू प्रशिक्षण ने वडोदरा के सिविल डिफेंस, जीआरपी, और होमगार्ड कर्मचारियों को जल-संबंधी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रशिक्षण न केवल तकनीकी कौशल को बढ़ाने में सहायक रहा, बल्कि आपदा प्रबंधन में समन्वय और तत्परता को भी प्रोत्साहित किया। गुजरात जैसे राज्य में, जहाँ जल-संबंधी आपदाएँ आम हैं, इस तरह के प्रशिक्षण जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं।