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माँ कालरात्रि की स्तुति, मंत्र एवं नवरात्र में माँ कालरात्रि की महिमा

By News Desk Apr 4, 2025
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माँ कालरात्रि, दुर्गा माँ के नौ रूपों में से सातवाँ रूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। इनका स्वरूप भयंकर होने के बावजूद भक्तों के लिए कल्याणकारी माना जाता है। माँ कालरात्रि का नाम “काल” (समय या मृत्यु) और “रात्रि” (अंधकार) से मिलकर बना है, जो दर्शाता है कि ये दुष्ट शक्तियों और अंधकार का नाश करने वाली हैं। इनका वर्ण काला, बाल खुले हुए, गले में विद्युत के समान चमकती माला और तीन नेत्र हैं। माँ कालरात्रि का वाहन गधा है, और ये अपने दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और वरद मुद्रा रखती हैं, जबकि बाएँ हाथ में खड्ग और लोहे का काँटा धारण करती हैं।

माँ कालरात्रि की स्तुति

माँ कालरात्रि की स्तुति भक्तों को भय, संकट और शत्रुओं से मुक्ति दिलाने के लिए की जाती है।

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

करालवदना घोरा कालिका कालरात्रिका।

भक्तानां अभयदायिनी त्वं हि माँ शुभप्रदा॥

माँ कालरात्रि का मंत्र

माँ कालरात्रि की पूजा के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप किया जाता है, जो शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है:

  • बीज मंत्र:
    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्रि नमः
  • संक्षिप्त मंत्र:
    एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

नवरात्र में माँ कालरात्रि की महिमा

नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और नकारात्मकता से मुक्ति का प्रतीक है। माँ कालरात्रि को तंत्र-मंत्र साधना में विशेष स्थान प्राप्त है, क्योंकि ये भूत-प्रेत, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं का नाश करती हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति में साहस, निडरता और आत्मविश्वास का संचार होता है। मान्यता है कि माँ कालरात्रि की भक्ति से कुंडलिनी जागरण और मोक्ष की प्राप्ति भी संभव है।

इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, माँ को गुड़, शहद और लाल फूल अर्पित करते हैं। रात्रि में विशेष पूजा और मंत्र जाप से माँ कालरात्रि प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सभी संकटों से मुक्त करती हैं।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

आदिशक्ति माँ दुर्गा की सप्तम स्वरूप, दुष्टों की संहारक, माँ कालरात्रि भक्तों को शुभ फल प्रदान करने वाली हैं।

माँ भगवती की कृपा से सकल संसार में सुख, शांति, समृद्धि व सकारात्मकता का वास हो, महामाई से यही प्रार्थना है।

जय माँ कालरात्रि!

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