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जय माँ शैलपुत्री! माँ शैलपुत्री का मंत्र एवं नवरात्र में माँ शैलपुत्री की महिमा

By News Desk Mar 30, 2025
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जय देवि महादेवि भक्तानुग्रहकारिणि।
जय सर्वसुराराध्ये जयानन्तगुणालये।।

जगद्धात्री जगदम्बा की आराधना-उपासना के पावन पर्व चैत्र नवरात्रि की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

माँ भगवती की अपार कृपा सभी पर बनी रहे, सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।

माँ शैलपुत्री नवरात्रि के प्रथम दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं। ये माँ दुर्गा का पहला स्वरूप मानी जाती हैं। “शैल” का अर्थ है पर्वत और “पुत्री” का अर्थ है बेटी, अर्थात् माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जिन्हें पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को स्थिरता, शक्ति और मन की शांति प्राप्त होती है।

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

‘चैत्र नवरात्रि’ का पावन प्रथम दिवस जगज्जननी माँ शैलपुत्री की आराधना को समर्पित है।

माँ शैलपुत्री से प्रार्थना है कि सम्पूर्ण जगत पर अपनी कृपा बनाए रखें, आपके आशीर्वाद से चहुंओर समृद्धि और खुशहाली का वास हो।

माँ शैलपुत्री का मंत्र:

माँ शैलपुत्री का बीज मंत्र और पूजा मंत्र इस प्रकार हैं:

  1. बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः (Om Aim Hreem Kleem Shailputryai Namah)
  2. पूजा मंत्र: वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ (Vande Vanchhitalabhaya Chandrardhakritashekharam, Vrisharudham Shooladharam Shailputrim Yashasvinim)

माँ शैलपुत्री की स्तुति:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

अर्थ:
मैं उस शैलपुत्री की वंदना करता हूँ, जो इच्छित फल प्रदान करने वाली हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र शोभायमान है, जो वृषभ पर आरूढ़ हैं, शूल धारण करती हैं और यशस्विनी हैं।

ध्यान मंत्र:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को दृढ़ता, शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है। वे लाल वस्त्र और लाल पुष्पों से प्रसन्न होती हैं।

नवरात्र में माँ शैलपुत्री की महिमा:

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन मूलाधार चक्र को जागृत करने से जुड़ा है, जो आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। माँ शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता, दृढ़ता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि ये माँ अपने भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में सफलता प्रदान करती हैं।

माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है और वे अपने हाथों में त्रिशूल व कमल धारण करती हैं। इनकी पूजा में गाय के घी का भोग लगाया जाता है और सफेद फूल अर्पित किए जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि माँ शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और वह अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होता है।

इस दिन भक्त सुबह उठकर स्नान कर, लाल वस्त्र धारण कर माँ की चौकी सजाते हैं और मंत्रों के साथ उनकी पूजा करते हैं। माँ शैलपुत्री की कृपा से नवरात्रि की शुरुआत शुभ और मंगलमयी होती है।

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