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धार्मिक नगरी रतनपुर का इतिहास? क्यों प्रसिद्ध है रतनपुर नगरी?

By News Desk Mar 20, 2025
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रतनपुर, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्राचीन और धार्मिक नगरी है, जिसका इतिहास सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है। यह नगर मध्यकाल में कलचुरी राजवंश की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था और आज भी अपने धार्मिक महत्व और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है।

रतनपुर का इतिहास

रतनपुर का इतिहास 8वीं शताब्दी ईस्वी से शुरू होता है, जब यह एक समृद्ध बस्ती के रूप में उभरा। 11वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश के राजा रत्नदेव प्रथम ने इसे अपनी राजधानी बनाया। ऐसा माना जाता है कि 1045 ईस्वी में रत्नदेव प्रथम शिकार के लिए मणिपुर नामक गाँव में आए थे, जहाँ उन्हें एक वटवृक्ष के नीचे माँ महामाया की अलौकिक सभा के दर्शन हुए। इस घटना से प्रभावित होकर उन्होंने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और वहाँ माँ महामाया का भव्य मंदिर बनवाया।

कलचुरी शासकों के शासनकाल (10वीं से 12वीं शताब्दी) में रतनपुर कला, साहित्य और वास्तुकला का केंद्र बन गया। इस期间 राज्य को दो भागों में बाँटा गया—शिवनाथ नदी के उत्तर में रतनपुर राज और दक्षिण में रायपुर राज। दोनों में 18-18 गढ़ थे, जिसके कारण इस क्षेत्र का नाम “छत्तीसगढ़” (36 गढ़ों का क्षेत्र) पड़ा। 18वीं शताब्दी तक यह हैहयवंशी राजाओं की राजधानी रही, फिर मराठों (1741) और बाद में अंग्रेजों (1818) के अधीन आ गई।

रतनपुर का एक अन्य ऐतिहासिक पहलू स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है। 19वीं शताब्दी में यहाँ से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ था। पंडित कपिल नाथ द्विवेदी और वैष्णव बाबाजी के नेतृत्व में वंदे मातरम के नारों के साथ प्रभात फेरी निकाली गई, जिसके कारण कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

रतनपुर क्यों प्रसिद्ध है?

रतनपुर की प्रसिद्धि के कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  1. महामाया मंदिर:
    रतनपुर का सबसे प्रसिद्ध स्थल माँ महामाया का मंदिर है, जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा रत्नदेव प्रथम ने करवाया था। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक माना जाता है, जहाँ माँ सती का दायाँ स्कंध गिरा था। मंदिर में महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी के स्वरूप वाली माँ महामाया की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। यहाँ नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और हजारों ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं। मंदिर की वास्तुकला कलचुरी और मराठा शैली का सुंदर मिश्रण है।
  2. धार्मिक महत्व:
    रतनपुर को “छोटी काशी” भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई प्राचीन मंदिर हैं, जैसे रत्नेश्वर महादेव मंदिर, वृद्धेश्वर नाथ मंदिर (बूढ़ा महादेव), और गिरिजाबंध हनुमान मंदिर। रत्नेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी किंवदंती है कि भगवान शिव ने एक चरवाहे के सपने में आकर छिपे खजाने का रहस्य बताया था, जिसने इसे और भी रहस्यमयी बनाया।
  3. ऐतिहासिक दुर्ग:
    रतनपुर में एक प्राचीन किला भी है, जो छत्तीसगढ़ के हैहय नरेशों द्वारा बनवाया गया था। यह किला आज भी अच्छी स्थिति में है और गणेश गेट, गंगा-यमुना की मूर्तियों और तांडव नृत्य करते शिव की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्यटकों को इतिहास की झलक दिखाता है।
  4. सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता:
    दुल्हारा नदी के तट पर बसा यह नगर अपने शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है। खूंटाघाट जलाशय भी यहाँ का एक आकर्षण है।

रतनपुर पहुंचने का माध्यम? तथा यहां के प्रमुख स्थान के बारे में जानकारी:

रतनपुर, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का नगर है। यह बिलासपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नीचे रतनपुर पहुंचने के साधन और इसके प्रमुख स्थानों की जानकारी दी गई है:

रतनपुर पहुंचने के माध्यम

  1. सड़क मार्ग:
    • रतनपुर बिलासपुर-कोरबा मुख्य मार्ग पर स्थित है। बिलासपुर से रतनपुर तक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं, जो रायपुर और आसपास के अन्य शहरों से भी जुड़ी हैं।
    • निजी वाहन या टैक्सी से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। रायपुर, राज्य की राजधानी, से रतनपुर की दूरी लगभग 140 किलोमीटर है, और यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
    • कोरबा और पाली जैसे नजदीकी स्थानों से भी स्थानीय परिवहन के साधन उपलब्ध हैं।
  2. रेल मार्ग:
    • निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन बिलासपुर जंक्शन है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा है। बिलासपुर से रतनपुर तक टैक्सी, ऑटो या बस के जरिए पहुंचा जा सकता है।
  3. हवाई मार्ग:
    • निकटतम हवाई अड्डा रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा है, जो रतनपुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस लेकर रतनपुर पहुंचा जा सकता है।

रतनपुर के प्रमुख स्थान

  1. महामाया मंदिर:
    • रतनपुर का सबसे प्रसिद्ध स्थल, जो माता महामाया (दुर्गा का एक रूप) को समर्पित है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश के शासनकाल में बनाया गया था। इसकी वास्तुकला बेहद आकर्षक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
  2. रतनपुर का प्राचीन किला:
    • यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और अभी भी अच्छी स्थिति में है। किले के प्रवेश द्वार पर गणेश गेट, गंगा-यमुना की मूर्तियां और अन्य प्राचीन मूर्तियां देखने योग्य हैं। किले में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की मूर्तियां भी मौजूद हैं।
  3. रत्नेश्वर महादेव मंदिर:
    • भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर अपनी पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यहां शिव ने एक चरवाहे को सपने में दर्शन दिए थे। यह शांत और आध्यात्मिक स्थान है।
  4. भैरवनाथ क्षेत्रपाल मूर्ति:
    • रतनपुर में प्रवेश करते ही हैहय राजवंश के समय की भैरवनाथ की 9 फीट ऊंची मूर्ति देखी जा सकती है, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है।
  5. दुल्हारा नदी:
    • रतनपुर दुल्हारा नदी के तट पर बसा है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करती है। यह नदी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान है।

अतिरिक्त जानकारी

  • रतनपुर को “छोटी काशी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कई छोटे-बड़े मंदिर हैं।
  • यह नगर कलचुरी वंश की प्राचीन राजधानी रहा है, जिसके अवशेष आज भी इसके इतिहास की गवाही देते हैं।
  • पर्यटकों के लिए यहां छोटे गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं उपलब्ध हैं, हालांकि बिलासपुर में ठहरने के बेहतर विकल्प मिल सकते हैं।

रतनपुर अपने धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण एक आकर्षक गंतव्य है, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत को दर्शाता है।

रतनपुर का इतिहास और प्रसिद्धि इसे एक अनूठा धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल बनाती है। यह न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। यहाँ के मंदिर, किला और लोककथाएँ इसे तीर्थयात्रियों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं। आज भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इसकी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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