AI taknik call centre karmachariyon ke uchcharan ko badalti hai.
आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हर क्षेत्र में अपनी जगह बना रहा है। हाल ही में, AI ने एक नए विवाद को जन्म दिया है—भारतीय कॉल सेंटर कर्मचारियों के उच्चारण को बदलने के लिए AI तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। फ्रांसीसी कंपनी Teleperformance ने Sanas नामक एक स्टार्टअप की मदद से ऐसी AI सॉफ़्टवेयर विकसित किया है जो भारतीय और अफ्रीकी उच्चारण को अमेरिकी लहजे में बदल सकता है।
यह तकनीक कैसे काम करती है?
इस तकनीक में रियल-टाइम स्पीच मॉडिफिकेशन AI का उपयोग किया जाता है, जो व्यक्ति की आवाज़ को अमेरिकी, ब्रिटिश या किसी अन्य न्यूट्रल लहजे में ढाल सकता है। जैसे ही कॉल सेंटर कर्मचारी ग्राहक से बात करता है, AI सॉफ़्टवेयर उसकी आवाज़ को फ़िल्टर करके उसे अधिक ‘समझने योग्य’ और ‘मुलायम’ बना देता है, जिससे ग्राहक बातचीत को जल्दी समझ सकें।
AI द्वारा उच्चारण बदलने के पीछे का उद्देश्य
- बेहतर ग्राहक अनुभव: कई अमेरिकी और यूरोपीय ग्राहक भारतीय या अफ्रीकी उच्चारण को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। यह AI तकनीक ग्राहक और एजेंट के बीच की बाधाओं को दूर करने के लिए बनाई गई है।
- कॉल का समय कम करना: यदि ग्राहक को किसी कॉल सेंटर एजेंट की बात जल्दी और आसानी से समझ आ जाती है, तो कॉल की अवधि कम हो जाती है, जिससे कंपनी की उत्पादकता बढ़ती है।
- बिज़नेस की वृद्धि: यदि ग्राहक कॉल सेंटर सेवाओं से संतुष्ट होते हैं, तो कंपनियां अपनी सेवाओं का विस्तार कर सकती हैं, जिससे अधिक मुनाफ़ा होता है।

AI उच्चारण बदलाव: एक विवादास्पद मुद्दा
हालांकि यह तकनीक कई फायदे ला सकती है, लेकिन इसके नैतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं:
1. सांस्कृतिक पहचान पर प्रभाव
उच्चारण किसी व्यक्ति की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा होता है। इस तकनीक का उपयोग करने का अर्थ यह हो सकता है कि कंपनियां भारतीय या अन्य गैर-अमेरिकी उच्चारण को कम स्वीकार्य मान रही हैं। क्या यह वैश्विक कार्यबल में सांस्कृतिक विविधता को कमज़ोर कर सकता है?
2. भाषाई भेदभाव का संकेत
कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक ‘लहजे के आधार पर भेदभाव’ (Accent Bias) को बढ़ावा दे सकती है। यदि AI से बदला गया उच्चारण ग्राहक के लिए अधिक “व्यावसायिक” या “गुणवत्तापूर्ण” माना जाता है, तो क्या इसका अर्थ यह है कि भारतीय उच्चारण कम प्रभावी है?
3. रोजगार पर असर
AI तकनीक धीरे-धीरे कॉल सेंटर कर्मचारियों के लिए एक चुनौती बन सकती है। यदि AI ग्राहकों के साथ बातचीत को अधिक कुशल बनाता है, तो भविष्य में AI वॉयस बॉट्स (AI Voice Bots) इंसानों की जगह ले सकते हैं, जिससे लाखों लोगों की नौकरियाँ ख़तरे में पड़ सकती हैं।
भारत में AI उच्चारण परिवर्तन की प्रतिक्रिया
भारत में इस तकनीक को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी गई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह ग्लोबल बिज़नेस में भारतीयों की भागीदारी को और बढ़ा सकता है, जबकि अन्य इसे भारतीय पहचान और स्वाभिमान के लिए एक खतरा मानते हैं।
भारतीय IT और BPO (Business Process Outsourcing) सेक्टर में लाखों लोग काम करते हैं, और भारतीय कॉल सेंटर दुनिया भर में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। भारतीय कंपनियों को यह विचार करना होगा कि क्या यह तकनीक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक लाभ है या भारतीय पेशेवरों के खिलाफ भेदभाव का एक नया रूप।
भविष्य की संभावनाएँ और समाधान
यदि AI उच्चारण बदलाव को व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो कंपनियों को इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं: उच्चारण को पूरी तरह बदलने के बजाय, AI का उपयोग उच्चारण को स्पष्ट और अधिक समझने योग्य बनाने के लिए किया जा सकता है।
- भाषाई विविधता को स्वीकार करें: कंपनियों को कर्मचारियों को उनकी प्राकृतिक आवाज़ और उच्चारण के साथ आत्मविश्वास से बोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- ग्राहकों को शिक्षित करें: अमेरिकी या यूरोपीय ग्राहकों को यह समझाने की जरूरत है कि विभिन्न उच्चारणों को समझना एक वैश्विक व्यापारिक कौशल है।
- AI तकनीक को संतुलित तरीके से लागू करें: AI का उपयोग ऐसे तरीकों से किया जाना चाहिए जिससे यह कर्मचारियों की मदद करे, न कि उनकी पहचान को मिटाए।
निष्कर्ष
AI द्वारा उच्चारण बदलने की यह तकनीक जहां एक ओर ग्राहकों और कंपनियों के लिए सुविधाजनक हो सकती है, वहीं यह सांस्कृतिक पहचान, भाषाई भेदभाव और रोजगार के भविष्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी जन्म देती है।
भारत और अन्य देशों के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे AI की शक्ति का उपयोग संतुलित और नैतिक तरीके से करें, ताकि वैश्विक व्यापार में भारतीय पेशेवरों की संस्कृति और पहचान को बनाए रखते हुए उनकी भागीदारी को बढ़ाया जा सके।