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कंठ में भगवंत कृपा, कथा में अमृत वर्षा

By News Desk Oct 30, 2024
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जानिए 8 साल की उम्र में व्यासपीठ पर पहुंची
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया की कहानी

अतुल्य भारत चेतना
पी एन पाण्डेय

गोरखपुर। कन्याएं स्वयं शक्ति का स्वरूप होती हैं और ऐसे में यदि वह व्यास पीठ पर विराजमान हों, उनके मुखारबिंद से भगवत ज्ञान की प्राप्त हो तो उनकी महत्ता अवश्य ही शिखर के समान हो जाती है। साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया, जिन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही पूरी श्रीमद भगवत कथा के सार को न केवल कर लिया है अपितु बड़े ही सारगर्भित ढंग से वह भगवत पुराण में लिखित श्लोकों को बड़े परिमार्जित रूप से श्रोताओं तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं।
विदित हो कि उत्तर प्रदेश के जनपद स्थित अनोमा नदी के निकट भूत भावन गंगेश्वर नाथ /भष्मेश्वर महादेव की स्थली ग्राम भस्मा निवासी साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने महज आठ वर्ष की आयु में ही श्री मद भागवत कथा वाचन में अपना स्थान बना लिया है।
आपने प्रथम श्रीमद भागवत कथा वाचन में ही श्रद्धालुओं के हृदय में स्थान बना लिया है।
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया के पिता सौहार्द शिरोमणि संत डा सौरभ जी (प्रमुख धरा धाम इंटरनेशनल)अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामाजिक विभूति एवं माता मिसेज इंडिया डा रागिनी पाण्डेय देहदानी एवम समाजसेविका है।
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया सनातन धर्म का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में करना चाहती है।उन्होंने कहा कि कथा वाचन है मिशन होगा न कि प्रोफेशन ।
माधव प्रिया अभी पुराणों का अध्ययन कर रही है एवम नवंबर से लगातार श्रीमद भागवत कथा का वचन कर लोगो को सनातन धर्म के प्रति प्रेरित करेंगी।
आठ वर्षीय कथावाचिका साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया का जीवन प्रेरणादायक और चमत्कारिक है। उनकी कथा वाचन शैली इतनी प्रभावशाली है कि श्रोताओं का मन सहज ही मोह लेती है। मात्र दो वर्ष की आयु से ही उन्होंने धर्म में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी, जो किसी अलौकिक आशीर्वाद के समान प्रतीत होती है। साध्वी श्वेतिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक विकास मुख्यतः अपने माता-पिता से प्राप्त हुआ। उनके पिता, सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी, जो धरा धाम इंटरनेशनल के प्रमुख हैं, और उनकी माता, डॉ. रागिनी पाण्डेय, एक समाजसेविका और देहदानी हैं, जिन्होंने उन्हें धार्मिक संस्कारों से ओत-प्रोत किया।उनके प्रारंभिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उनके गांव भस्मा के रामलीला आयोजनों और घर पर मिली धार्मिक शिक्षा से प्रेरित रहा। इस धार्मिक पृष्ठभूमि ने उनके मन में धर्म के प्रति गहरी आस्था और लगाव पैदा किया। साध्वी श्वेतिमा के माता-पिता ने उन्हें धर्म और संस्कारों के महत्व से अवगत कराया, जिसने उनकी आध्यात्मिक यात्रा को प्रारंभिक चरणों में ही गति दी।महज 6 माह की शिक्षा में ही, उन्होंने प्रयागराज के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य पंडित शिवम शुक्ला शिष्य अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध व्यास डा श्याम सुंदर परासर जी महाराज के मार्गदर्शन में भागवत कथा का गहन अध्ययन किया। साध्वी श्वेतिमा ने श्रीमद्भागवत कथा के श्लोकों को कंठस्थ किया और बहुत सारगर्भित ढंग से कथा वाचन प्रारंभ किया। यह आश्चर्यजनक है कि उन्होंने इतनी कम आयु में ही श्रीमद्भागवत का ज्ञान प्राप्त कर लिया और श्रद्धालुओं को इस अमृतमयी ज्ञान की अनुभूति कराई।
पहली ही श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने अपार ख्याति अर्जित की। उनका वाचन श्रोताओं के हृदय में गहराई तक उतर गया। साध्वी श्वेतिमा का मानना है कि कन्याएं स्वयं मां दुर्गा का स्वरूप होती हैं, और जब वह व्यास पीठ पर विराजमान होकर भगवत ज्ञान का प्रसार करती हैं, तो उनकी महत्ता दिव्य हो जाती है। उनके मुखारविंद से भगवत ज्ञान का प्रवाह श्रोताओं के मन में एक विशिष्ट आस्था और श्रद्धा उत्पन्न करता है।
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया उत्तर प्रदेश के जनपद स्थित अनोमा नदी के निकट भूतभावन गंगेश्वरनाथ/भस्मेश्वर महादेव की स्थली, ग्राम भस्मा की निवासी हैं। उनके गांव का यह धार्मिक वातावरण और उनके परिवार की धार्मिक परंपराएं उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। मात्र आठ वर्ष की आयु में उन्होंने भागवत कथा वाचन में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त कर लिया है।
साध्वी श्वेतिमा का लक्ष्य पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार करना है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका कथा वाचन मिशन है, न कि केवल एक पेशा। वे श्रीमद्भागवत और अन्य पुराणों का अध्ययन कर रही हैं और आगामी नवंबर से वे लगातार भागवत कथा वाचन के माध्यम से लोगों को सनातन धर्म की ओर प्रेरित करेंगी। उनका उद्देश्य मानवता के प्रति समर्पण और धर्म की महत्ता को विश्व स्तर पर स्थापित करना है।
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया का यह आध्यात्मिक मार्गदर्शन केवल एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक संदेश है—धर्म की रक्षा और प्रचार का। उनकी कथा वाचन शैली, उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए भगवत श्लोक, और उनके भावों में भरी अपार श्रद्धा सभी को प्रेरित करती हैं। उनके बालमन में सजीव यह धार्मिक विचारधारा आने वाले वर्षों में और भी अधिक प्रखर होकर लोगों तक पहुंचेगी।श्वेतिमा जी श्री सोमनाथ पाण्डेय एवं स्मृति शेष गीता पाण्डेय को सुपौत्री है।इनकी ननिहाल ग्राम पाल्हीपार खजनी, इनके नाना श्री राम गिरीश तिवारी एवं नानी श्रीमती गायत्री देवी है।इनके तीन चाचा है क्रमशः सविनय अवनीश एवं समीर पाण्डेय (प्रवक्ता) है।

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