Breaking
Sat. Jul 26th, 2025

आवाहन पितरों का

By News Desk Sep 19, 2024
Spread the love

हे पितृ देवा तुमको हम पुकारे
आ के जीवन में दे दो सहारे
जी भर के चरणों को हम पखारें
अपने चरणों में हमको स्वीकारें
माँफी दे कर के हमको सँवारे
भूलों को सब हमारी भुला दें
हम पे आशीष अपना न्योछारे
शीश धरती पर हमने शृंगारे
सुन के विनती द्वारे तुम हमारे
आ के पुश्तों को अपनी दुआ दें
हे पितृ देवा वचन ये स्वीकारें
तेरे यश का सदा गान गायें

पितृ पक्ष आते ही आते हैं पीतर
धुन में पुरानी यादों के होते स्वर
द्वार की चौखट सजाते है सुंदर
सुख आनंद से भर जाते सबके घर
चावल पानी तुमको हम चढ़ायें
पुष्प रखकर डेहरी हम सजायें
तेरी स्मृतियों में हम तर्पण करते
आकर पितरों स्वीकारो अर्पण ये
श्रद्धा से तुमको हम हैं बुलाते
आओ पितरों पधारो यहाँ पे
पावन से भोगों को हम चढ़ाके
पीतर तेरी हम राह निहारे

पूर्णिमा भादों की लाती है ये पर्व
तर्पण में अर्पण में जुट जाते सर्व
अर्चन सुन पीतर आ जाते हैं घर
तन मन घर आँगन सज जाता सुंदर
गंगा यमुना शिप्रा पावन तट पर
जल अर्पित करने जाते पितरों पर
शिव की नगरी काशी या हो पुष्कर
पिंड का पूजन करते दक्षिण मुख कर
जाते अमरकण्टक नासिक या संगम
अर्पण करते जौ तिल फल और चंदन
धूप जलाकर करते अर्चन पूजन
मर्यादा रखकर करते हम वंदन

श्राद्ध करके सुख समृद्धि को है पाते
पीपल बरगद वट वृक्ष हैं लगाते
गौ कागा शुनि रूप में पुरखे आते
अन्न जल के सेवन से तर हो जाते
परिजन की सेवा से मिलती तृप्ति
पितरों के शुभ आशीष से हो वृद्धि
तृप्त होकर दे जाते ऋद्धि सिद्धि
वंश फूले फले बढ़ जाती है संवृद्धि
अंतिम दिन मावस लेकर है आता
तन मन से तर्पण पूरा कराता
अंजलि भर भर कर फूल है सजाता
पितरों के ऋण से मुक्ति कराता

मणि सक्सेना
मुंबई,(महाराष्ट्र)

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Responsive Ad Your Ad Alt Text