
अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी रतनपुर प्राचीन काल में कई राजाओं की राजधानी होने के नाते विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं की जननी रही है। कई परम्पराएं आधुनिकता के दौड़ में लुप्त होने के कगार मे है। यहां की सांस्कृतिक परंपराओं में मराठा शासन के समय से चली आ रही कुछ परंपराएं आज भी चल रही। इनमें पंडरी नाथ मंदिर में आषाढ़ी महोत्सव एवं कार्तिक महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। इसी तरह भादों गम्मत एवं चैत्र मे हनुमान जी की रात्रिकालीन शोभायात्रा की परम्परा करैहापारा में आज़ भी जीवित है। नगर के बड़ी बाजार स्थित ऐतिहासिक पंडरी नाथ मंदिर में इस वर्ष आषाढ़ी महोत्सव 25 जुलाई को हर्षोल्लास संपन्न हुआ। 16 जुलाई से प्रारम्भ हुए इस महोत्सव में इन्दौर से पधारे कीर्तन रत्न श्री एवज जी महाराज के पारम्परिक मराठी भजनो एवं विठ्ठल भगवान के कीर्तन का बड़े ही श्रद्धा के साथ नगरवासियों ने रसपान किया। मराठी परम्परा में दिण्डी यात्रा एवं गोपालकाला का विशेष महत्व होता है। 17 जुलाई को दिण्डी यात्रा एवं 22 जुलाई को गोपालकाला का कार्यक्रम संपन्न हुआ। 25 जुलाई को पंचपदी व काढ़ा प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में मंदिर के प्रबंधक एवं पुजारी पं. आनंद नगरकर,पं.अनिरुद्ध नगरकर,पं.अन्वेष, पं. अनन्य वैद्य, पं. अनय, पं.अराध्य के साथ नगर के विशेष गणमान्य जनों का सहयोग रहा।