Breaking
Sun. Jul 27th, 2025

बड़े एहसान है मुझपर…

By News Desk Jun 28, 2024
Spread the love

बड़े एहसान है मुझपर
अब इस जालिम जमाने के ।
इसी की ठोकरों ने तो
मुझे चलना सिखाया है।

दिये को खोजता फिरता था
परवानो के जैसा मैं
अन्धेरों ने चरागों की तरह
जलना सिखाया है।

सभी को शुक्रिया जिस -जिस ने भी
रुसवाइयां दीं हैं।
जिन्होंने गम दिये मुझको
मुझे तनहाइयां दी हैं

मेरी मजबूरियों लाचारियों
गुरबत के तानों को ।
सभी खुदगर्ज अपनों को
सभी जालिम बेगानों को ।

मेरे कुनबे की पैदाइश
नये शाही घरानों को ।
हमारी झोपड़ी के सामने के
कुछ मकानों को ।

मुझे पूरा जलाकर
राख कर देने की कोशिश ने ।
नये सांचे मे नयी शक्ल मे
ढलना सिखाया है ।

बड़े एहसान है मुझपर
अब इस जालिम जमाने के ।
इसी की ठोकरों ने तो
मुझे चलना सिखाया है ।

-महेश मिश्र (मानव)

subscribe our YouTube channel

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Responsive Ad Your Ad Alt Text