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तुम भला किस राम को पाने चले हो ?

By News Desk Jun 26, 2024
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छोड़ कर संयम
सहजता और समता ।
तुम भला किस
राम को पाने चले हो ।
त्याग कर वनवासियों का
स्नेह सारा ।
त्याग करके निष्कपट
सबरी की ममता
तुम भला किस
राम को पाने चले हो ।
राम होना है
तो पहले त्याग जानो ।
राम होना है
प्रथम वैराग्य जानो ।
ओढ़ कर वैभव ‘
विजय ‘ सामर्थ्य क्षमता ।
तुम भला किस
राम को पाने चले हो ।
राजगद्दी छोड़ कर
वन के वरण को ।
राम कहते हैं
जगतहित आचरण को
यदि डराती है
तुम्हे जीवन विषमता ।
तुम भला किस
राम को पाने चले हो ।
राम वो हैं जो किसी
ममता के जूठे बेर खाते ।
राम वो हैं जो किसी
पाषाण को नारी बनाते ।
राम वो हैं जो कि
सन्तो का सदा उद्धार करते ।
राम वो हैं जो कि
दानव ‘ दैत्य का संहार करते ।
प्यार की उद्धार की उपकार की
है नही तुझमे अगर यह श्रेष्ठ क्षमता
तुम भला किस
राम को पाने चले हो?

-महेश मिश्र (मानव)

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