अतुल्य भारत चेतना
राजकुमार अग्रहरि
सिद्धार्थ नगर। विद्या भारती शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार में आयोजित नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के सातवें दिवस विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह मंत्री चिंतामणि सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा धोती पहनना कोई वेष नहीं धोती हमारी मर्यादा है। धोती पहन कर गलत कार्य करने की हिम्मत नहीं हो सकती इसलिए पूजा पद्धतियों में भी धोती पहनाया जाता है।

आगे उन्होंने कहा जिस शब्द से विद्यालय की पहचान थी वह शब्द लुप्त हो रहा है सर और मैम शब्द हमारे लिए हितकर नहीं है। 1952 में जब पहली बार गोरखपुर में सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना हुई। जब कोई नया काम करना हो तो उपहास, आलोचना और विरोध तीनों का सामना करना पड़ता है। समाज के लोग कहते थे कि विद्यालय नहीं है आरएसएस का मंदिर है। समाज ने विरोध करना शुरू कर दिया लेकिन जब समाज विरोध करता हो तो उसका उत्तर देने के लिए तैयार रहना चाहिए लोग पूछते थे इस मंदिर का पुजारी कौन है तो उत्तर दिया जाता था। हमारे आचार्य ही इसके पुजारी है शिशु ही भगवान है उसी के अंदर देवत्व है।

जगह-जगह फूल लगाए जाते थे और लिखा जाता था फूलों से नित करना सीखें फूलों से नित हंसना सीखें। परिस्थितियों बदली आज समाज हमारे साथ खड़ा है हम उसका भरपूर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। लोगों के विरोध करने का एक कारण भी था इस देश में जो भी शासक आए यहाँ के धर्म और शिक्षा में परिवर्तन पहला विषय था। मुगल आए मौलवी लाए अंग्रेज आए पादरी लाये। लोग सोचते थे अंग्रेज गए अंग्रेजी और अंग्रेजित भी जाएगी लेकिन अंग्रेजों के जाने के बाद अंग्रेजी और अंग्रेजियत आज भी रह गई।

आगे उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डालते हुए कहा यह शिक्षा नीति धरती पर उतारने के लिए समाज के अनुरूप बनी है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई देगा क्योंकि इसमें गुणवत्तापूर्ण और मूल्य परक शिक्षा को महत्व दिया गया है। उक्त अवसर पर शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक राम सिंह बलिया संभाग के संभाग निरीक्षक कन्हैया चौबे जी प्रधानाचार्य राम केवल शर्मा बालिका विद्यालय की प्रभारी प्रतिमा सिंह समेत व्यवस्था में लगे आचार्य बंधुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन प्रांतीय परीक्षा प्रमुख दिवाकर मिश्र ने किया।
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