
समस्याओं का दास बना
भटकता ऐ पागल मन
बन जाती दास, काश!
समस्याएं तेरे
हो जाता सारे
दुख दर्दों का दहन।
सोच तो तू!
गंभीरता से सोच
क्यों है तू इतना उदास
दो हाथ दो पांव है तेरे
फिर क्या नहीं है
तेरे पास।
कलमुंही बंदर को देख
घबराने लगा
बाड़ी उजड़ जाने का भय
मन में समाने लगा
आगे बढ़ और
चल मंजिल की ओर
देखना कि समस्याएं
कैसे बनती है समाधान।
उदासी की घटा
कैसे छंटती है
जिंदगी में खुशहाली
कैसे आती है
तू चलता चल
मंजिल की ओर
जुनून की मशाल जलाकर।
-आस्था कश्यप
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