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Fri. Jul 25th, 2025
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जनता से मिलने की खातिर ,
सरकार आये हैं ।
लेकरके काफिला कारों का ,
दल लेकर के चाटुकारों का ।
करबद्ध है आज निवेदन को
उत्सुक से हैं आलिंगन को ।
थे तीर की भांति तने अब तक ,
झुक रहे सहज अभिवादन को l
जिन से मिल पाना मुश्किल था ‘
वह खुद चल करके आज हमारे द्वार आए हैं ।
जनता से मिलने की खातिर सरकार आए हैं ,
यह सत्य है समय बदलता है ।
प्रातः में सूरज उगता है ,
संध्या होने पर ढलता है ।
किंचित आश्चर्य नहीं इसमें ,
यह मात्र समय परिवर्तन है ।
लग गई आचार संहिता है ‘
कुछ समय बाद निर्वाचन है ।
यह लेकर के वोटों की दरकार आए हैं ,
जनता से मिलने की खातिर सरकार आए हैं ।
है हृदय कलुष पूरित परन्तु ‘
आचरण उदार दृष्टिगत है ।
व्यवहार शुद्ध अभिनय पूरित ‘
मुख पर छल कपट बनावट है ।
हमदर्दी के मंचन को कलाकार आए हैं ,
जनता से मिलने की खातिर सरकार आए हैं ।
है सभी अद्वितीय राष्ट्रभक्त ‘
पर उपकारी गांधीवादी ।
कुछ व्यभिचारों के दोषी हैं ,
कुछ है हत्या के अपराधी ।
कुछ काले धन के स्वामी है ‘
कुछ घोटालों के माहिर हैं ।
इनकी सब पोल खुल चुकी है ,
इनके कुकर्म जगजाहिर है ।
जनता को मूर्ख बनाने होशियार आए हैं ‘
जनता से मिलने की खातिर सरकार आए हैं ।
कुछ पिछड़ों के शुभचिंतक है ‘
कुछ दलितों के हैं हितकारी ।
कुछ मुसलमान हित साधक हैं ‘
कुछ की हिंदू जिम्मेदारी ।
नैतिकता समझाने को मक्कार आए हैं ‘
जनता से मिलने की खातिर सरकार आए हैं ।

-महेश मिश्र (मानव)

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