दिन के अभिजीत मुहूर्त में भगवान सीताराम और रात्रि को पंचांग मुहूर्त में महाप्रभु जगन्नाथ संग बहन सुभद्रा एवं बलभद्र की हुई प्राण प्रतिष्ठा
अतुल्य भारत चेतना
हाकम सिंह रघुवंशी
गंजबासौदा। नौलखी धाम पर चल रही प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बुधवार को कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में रामनवमी के पावन मौके पर जब भगवान श्री राम माता सीता और हनुमान जी के साथ विराजमान हुए तो भगवान की एक झलक पाने के लिए घंटों से इंतजार कर रहे हजारों श्रद्धालु और साधु संत गर्भगृह के पट खुलते ही भगवान की मनमोहक छवि देखते ही भाव विभोर हो गए और उन्हें अध्योध्या के कनक भवन में विराजमान सीताराम जी की छवि दिखाई दी।

पद्मासन मुद्रा में विराजमान भगवान सीताराम की प्राण प्रतिष्ठा का आचार्यों के द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच दोपहर 11 बजकर 55 मिनिट से 12 बजकर 48 मिनिट तक चला। वहीं रात्रि को महाप्रभु जगन्नाथ,बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र जी की प्रतिष्ठा बुधवार को रात्रि 10 बजे से पंचांग मुहूर्त में उड़ीसा जगन्नाथपुरी से आए सात प्रतिष्ठाचार्यों और मुख्य यजमान के द्वारा टिमटिमाते तारे और चंद्रमा की रोशनी में महाप्रभु की गुप्त प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई।

महाप्रभु की प्राण प्रतिष्ठा के समय में रात को किसी अन्य यजमान एवं श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। भगवान सीताराम और महाप्रभु जगन्नाथ की एक साथ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल संतों ने कहा कि पहली बार हमको यह अद्भुत, दुर्लभ संयोग कई सदियों के बाद आज नौलखी पर देखने मिल रहा है जब अवध से राम जी,भार्या सीता और सेवक हनुमान और द्वापर से महाप्रभु के रूप में कन्हैया अपनी बहन और भाई के साथ पधारे हैं। नौलखी पर पूर्व से विराजमान सीताराम जी और लक्ष्मण जी के पुराने विग्रह की स्थापना सीताराम जी के नए विग्रह के साथ कराई गई।

मालूम हो कि नौलखीधाम पर आयोजित हो रहे धार्मिक महोत्सव में बुधवार को भगवान सीताराम और महाप्रभु जगन्नाथ की प्राण प्रतिष्ठा उड़ीसा, बनारस और अयोध्या से आए वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा वैदिक कर्मकांड के साथ पंचांग मुहूर्त में संपन्न हुई। भगवान सीताराम की प्रतिष्ठा महंत राम मनोहरदास महाराज, मुख्य यजमान नरेश गुप्ता, भवानी सिंह चंदेल बींझ, महायज्ञ के मुख्य यजमान राकेश मरखेड़कर, अरविंद दुबे मनैषा ने बनारस से आए प्रधान प्रतिष्ठाचार्य पं मथुरा प्रसाद, उप प्रतिष्ठाचार्य पं केशव शास्त्री, आचार्य सुनील शास्त्री सहित 21 ब्राह्मणों ने संपन्न कराई। जबकि जगन्नाथपुरी से आए प्रधान प्रतिष्ठाचार्य प्रमोद कुमार सहित साथ आए अन्य ब्राह्मणों के द्वारा मुख्य यजमान मनीष पाठक ने रात्रि के समय पंचांग मुहूर्त में जगन्नाथ महाप्रभु की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई। उड़ीसा के आचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले जगन्नाथ महाप्रभु विग्रहों का मंगलवार को गर्भावास, बुधवार को उदय, गौ पूजन और महास्नान के पश्चात अग्नि कोण में मखमल के गद्दों पर शयन कराया। रात्रि 9 बजे के बाद पंचांग मुहूर्त में पुराने विग्रह को साथ रखकर महाप्रभु के नए विग्रहों की जगन्नाथपुरी की परंपरा और वैदिक कर्मकांड विधि से प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई गई।

राम जी को फलाहार के 56 भोग, महाप्रभु ने मिट्टी के बर्तन और केले के पत्तों पर पाया महाप्रसाद
प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान सीताराम सहित अन्य देव प्रतिमाओं को विभिन्न प्रकार के फलाहार के छप्पन भोग वेद मंत्रों के बीच प्रतिष्ठा के यजमानों ने अर्पित किए। महाप्रभ के राजभोग को जगन्नाथपुरी से आए रसोईया रवि नारायण पंडा द्वारा सुअरा पीठा, खट्टा, सागा भाजा,चावल, नारियल, खीर सहित आठ प्रकार का महाप्रसाद राजभोग व्यंजन लकड़ी की भट्ठियों पर तैयार किए गए। राजभोग तैयार होने के बाद सबसे पहले पार्वती जी को भोग लगाया गया। इसके पश्चात महाप्रभु को राजभोग विशेष रूप से तैयार कराए गए मिट्टी के बर्तनों में और केले के पत्तों पर परोसा गया। भोग सेवा के बाद पश्चात पहले संतों ने सीताराम भगवान की छवि के दर्शन किए उसके बाद प्रतिष्ठा के यजमान सहित यज्ञ में बैठे सभी यजमानों ने एक-एक करके भगवान की छवि के दर्शन किए। भगवान की छवि के मनोहारी दर्शन और श्रृंगार देखकर साधु संत ही मंत्र मुग्ध नहीं हुए यजमानों के अलावा हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु भी अपने आप को भाग्यशाली कहने लगे।
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