अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
लखनऊ/उत्तर प्रदेश। 18 अगस्त 2025 को उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (UPSIFS), लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया। इस अवसर पर उन्होंने तरकश ड्रोन एवं रोबोटिक्स लैब, पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह एडवांस्ड डीएनए डायग्नोस्टिक सेंटर, और अटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया। साथ ही, 75 जिलों के लिए तकनीक युक्त फोरेंसिक वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। संस्थापक निदेशक डॉ. जीके गोस्वामी ने सभी अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया, जबकि मुख्यमंत्री ने संस्थान के बच्चों को टैबलेट भी वितरित किए।
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मुख्यमंत्री का उद्बोधन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सेमिनार केवल आज की आवश्यकता नहीं, बल्कि प्राचीन परंपराओं में निहित है। उन्होंने नैमिषारण्य में अठ्ठासी हजार संतों की गोष्ठी का हवाला देते हुए कहा कि आज भी ऐसे मंथन से देश और समाज का विकास होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्ञान ही विकास का एकमात्र साधन है, और इसकी बाधा भविष्य में संघर्ष का कारण बन सकती है। फोरेंसिक साइंस की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों के मंथन से ही देश के विकास में सहयोग संभव है।
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उन्होंने बताया कि 2017 में उत्तर प्रदेश में फोरेंसिक लैबों की संख्या मात्र चार थी, जो अब 12 हो गई है और छह और निर्माणाधीन हैं। इस अवसर पर 75 फोरेंसिक मोबाइल वैन प्रदेश के जनपदों को उपलब्ध कराई गईं, जो पूरे राज्य को लाभान्वित करेंगी। इसके अलावा, 2017 के बाद 1,587 साइबर थानों की स्थापना और साइबर हेल्प डेस्क की सुविधा शुरू की गई है। योगी ने जीरो टॉलरेंस नीति और पुलिस सशक्तिकरण की बात करते हुए कहा कि अपराधी अब उत्तर प्रदेश में अपराध करने से घबराते हैं। उन्होंने यूपीएसआईएफएस में प्रशिक्षण लेने के लिए सभी पुलिस शाखाओं को प्रोत्साहित किया और संविधान प्रदत्त शक्तियों का उपयोग विकास के लिए करने की अपील की।
अन्य वक्ताओं के विचार
पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा ने बताया कि 2022 से अब तक राज्य की प्रयोगशालाओं में 16,255 मामलों की जांच हुई, जिसमें से 15,105 मामले फिंगरप्रिंट से हल किए गए। उन्होंने यूपीएसआईएफएस को फोरेंसिक क्षेत्र में मील का पत्थर करार दिया, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा और शोध प्रदान कर रहा है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि देश अब विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं रहना चाहता। उन्होंने स्थानीय भाषाओं में वॉयस-आधारित सेवाएं, साइबर सुरक्षा के लिए फोरेंसिक लैब, और भारतीय डेटा पर प्रशिक्षित एआई मॉडल्स की जरूरत पर बल दिया।
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संस्थापक निदेशक डॉ. जीके गोस्वामी ने कहा कि विकास के हर चरण में विधिकता को एकीकृत करना जरूरी है, चाहे वह सेवा क्षेत्र हो या उत्पादन। उन्होंने यूपीएसआईएफएस को चिकित्सा की तरह निवारक, नैदानिक, और उपचारात्मक दृष्टिकोण सिखाने वाला संस्थान बताया। मेरिट-आधारित प्रवेश प्रणाली और पिछले साल 92% की कट-ऑफ को संस्थान की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण माना। उन्होंने “फोरेंसिक एज ए सर्विस” की परिकल्पना पेश की, जो जांच, न्याय-प्रक्रिया, और वैश्विक सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
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विशेष गतिविधियां और सम्मान
मुख्यमंत्री ने संस्थान के बच्चों को टैबलेट वितरित किए, जबकि अपर पुलिस महानिदेशक (तकनीकी सेवाएं) नवीन अरोरा ने सभागार में उपस्थित अधिकारियों, छात्रों, और फैकल्टी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान योगी ने फोरेंसिक के पितामह कहे जाने वाले डॉ. लालजी सिंह के परिजनों से भी मुलाकात की। कार्यक्रम में प्रोफेसर अमित कुमार, डॉ. एसके जैन, डॉ. अभिषेक सिंह, रूपा, डॉ. प्रवीण सिन्हा, शैलेश चीरपीटकर, डॉ. मिनाल माहेश्वरी, पवन शर्मा, रवि शर्मा, जी नरेंद्र नाथ, डॉ. जेपी पांडेय, और अनुराग यादव ने अपने व्याख्यान दिए।
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समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने इस शिखर सम्मेलन को तकनीकी और फोरेंसिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना। एक छात्र ने कहा, “टैबलेट वितरण और फोरेंसिक वैन से हमें नई संभावनाएं मिलेंगी।” यह आयोजन उत्तर प्रदेश को फोरेंसिक और डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है।