अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। कान्हा की नगरी मथुरा के रिफाइनरी नगर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और बाहुड़ा रथ यात्रा ने समूचे क्षेत्र को भक्तिमय बना दिया। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया, 27 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र श्रीगोकुलेश्वर महादेव मंदिर से रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकले थे। नौ दिनों तक अपनी मौसी देवी गुंडिचा के यहां विशेष पूजा-अर्चना और भोग के बाद, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी, 5 जुलाई 2025 को बाहुड़ा रथ यात्रा के साथ भगवान अपने श्रीमंदिर में वापस लौटे। इस बाहुड़ा रथ यात्रा ने भजन-कीर्तन और जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ मथुरा रिफाइनरी नगर को भक्ति के रंग में रंग दिया।
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बाहुड़ा रथ यात्रा: भक्ति और उत्साह का संगम
बाहुड़ा रथ यात्रा, जो भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र की मौसी के घर से मंदिर वापसी का प्रतीक है, मथुरा रिफाइनरी नगर में भव्य और आध्यात्मिक रूप से आयोजित की गई। इस रथ यात्रा में हजारों भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र के रथों को भक्तों ने भक्ति और श्रद्धा के साथ खींचा। रथ यात्रा के दौरान भजन-कीर्तन और वैदिक मंत्रोच्चार से समूचा नगर भक्तिमय हो गया। रिमझिम बारिश ने इस आयोजन को और भी आनंदमय बना दिया, जिसे भक्तों ने इंद्रदेव की कृपा के रूप में देखा। बारिश के बावजूद भक्तों का उत्साह दोगुना हो गया, और उन्होंने जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ रथ खींचने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
राजा की भूमिका और परंपराएं
उड़िया समाज मथुरा रिफाइनरी द्वारा आयोजित इस रथ यात्रा में मथुरा रिफाइनरी के कार्यकारी निदेशक और रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल ने राजा की पारंपरिक भूमिका निभाई। उन्होंने रथ के चारों ओर सोने की सूप से झाड़ू लगाकर “छेरा पहांरा” परंपरा का निर्वहन किया और भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र की आरती की। इस परंपरा के तहत राजा रथ मार्ग को स्वच्छ करते हैं, जो भगवान के प्रति उनकी नम्रता और सेवा भाव को दर्शाता है। मुकुल अग्रवाल ने भक्तों के साथ मिलकर रथ खींचा और आयोजन की गरिमा को बढ़ाया।

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भक्तों का उत्साह और बॉलीवुड की उपस्थिति
रथ यात्रा में शामिल भक्तों ने इसे मथुरा में पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा का एक छोटा रूप बताया। मुम्बई से आए बॉलीवुड अभिनेता राजा कापसे ने इस आयोजन में भाग लिया और कहा, “कान्हा की नगरी में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है। यह आयोजन पुरी की रथ यात्रा की भक्ति और उत्साह को मथुरा में जीवंत करता है।” भक्तों ने इस आयोजन को अपनी स्मृतियों में संजोया और इसे भगवान जगन्नाथ की कृपा का प्रतीक माना।
नौ दिनों की पूजा और भोग
27 जून को शुरू हुई रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र अपनी मौसी देवी गुंडिचा के मंदिर में नौ दिनों तक विराजमान रहे। इस दौरान उड़िया समाज द्वारा विशेष पूजा-अर्चना, वैदिक मंत्रोच्चार, और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। भगवान को प्रतिदिन विशेष व्यंजनों का भोग अर्पित किया गया, जिसमें खीर, पूरी, और अन्य पारंपरिक प्रसाद शामिल थे। इन नौ दिनों में भक्तों ने भगवान के दर्शन और पूजा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

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बाहुड़ा रथ यात्रा का समापन
बाहुड़ा रथ यात्रा के समापन पर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा, और बलभद्र को श्रीमंदिर में वापस लाया गया। मंदिर पहुंचने पर भगवान की विशेष आरती की गई और उन्हें मंदिर में विधिवत विराजमान किया गया। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया, जिसमें खीर, पूरी, और अन्य व्यंजन शामिल थे। प्रसाद वितरण ने आयोजन को और भी आनंदमय बना दिया, और भक्तों ने इसे भगवान की कृपा का प्रतीक माना।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा और बाहुड़ा रथ यात्रा का आयोजन पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा की परंपरा को मथुरा में जीवंत करता है। यह आयोजन भगवान जगन्नाथ की भक्ति के साथ-साथ सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है। मथुरा, जो भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में विख्यात है, में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन दोनों परंपराओं का एक अनूठा संगम है। उड़िया समाज मथुरा रिफाइनरी ने इस आयोजन को भव्यता और भक्ति के साथ आयोजित कर क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया।
सामुदायिक और प्रशासनिक योगदान
उड़िया समाज मथुरा रिफाइनरी ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाज के सदस्यों ने रथ सज्जा, पूजा-अर्चना, और प्रसाद वितरण की व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया। मथुरा रिफाइनरी प्रशासन ने भी आयोजन के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान किया। रथ यात्रा के दौरान यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने भी सहयोग किया।
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भक्तों और समाज की प्रतिक्रिया
रथ यात्रा में शामिल भक्तों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक बताया। एक भक्त ने कहा, “मथुरा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और बाहुड़ा यात्रा का दर्शन करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। यह आयोजन हमें पुरी की रथ यात्रा की याद दिलाता है।” स्थानीय निवासियों ने उड़िया समाज और मथुरा रिफाइनरी प्रशासन की इस पहल की सराहना की और इसे सामुदायिक एकता का प्रतीक बताया।

भविष्य की योजनाएं और अपील
उड़िया समाज मथुरा रिफाइनरी ने घोषणा की कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन भव्यता के साथ आयोजित किए जाएंगे। समाज ने भक्तों से अपील की कि वे भगवान जगन्नाथ की भक्ति में और अधिक संख्या में शामिल हों और सामुदायिक एकता को बढ़ावा दें। मुकुल अग्रवाल ने कहा, “यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है। हम सभी भक्तों से अनुरोध करते हैं कि वे इस पवित्र परंपरा को आगे बढ़ाने में सहयोग करें।”
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मथुरा रिफाइनरी नगर में भगवान जगन्नाथ की बाहुड़ा रथ यात्रा ने न केवल भक्तों के बीच आध्यात्मिक उत्साह का संचार किया, बल्कि कान्हा की नगरी को भक्ति और सांस्कृतिक समरसता के रंग में रंग दिया। यह आयोजन मथुरा के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है।