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Vidisha news; लटेरी में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से 2 साल के बच्चे की मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा, क्लिनिक पर पथराव, पुलिस ने डॉक्टर को हिरासत में लिया

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अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी

विदिशा/लटेरी। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की लटेरी तहसील में बुधवार रात, 2 जुलाई 2025 को एक निजी क्लिनिक में झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के कारण 2 साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैला दिया, जिसके बाद गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने क्लिनिक के बाहर जमकर हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया और डॉक्टर के क्लिनिक पर पथराव किया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर पहुँचकर डॉक्टर को हिरासत में लिया। तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी घटनास्थल पर मौजूद रहे।

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, लटेरी कस्बे में एक निजी क्लिनिक में 2 वर्षीय बच्चे को इलाज के लिए लाया गया था। परिजनों का आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टर की गलत दवाएँ और लापरवाही के कारण बच्चे की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। इस दुखद घटना ने परिजनों और स्थानीय लोगों में गुस्सा भड़का दिया। गुस्साए लोगों ने क्लिनिक पर धावा बोल दिया और डॉक्टर के साथ मारपीट की। इसके बाद भीड़ ने क्लिनिक पर पथराव शुरू कर दिया, जिससे क्लिनिक को काफी नुकसान पहुँचा।स्थानीय लोगों ने डॉक्टर पर गैर-कानूनी रूप से क्लिनिक चलाने और बिना उचित चिकित्सा योग्यता के इलाज करने का भी आरोप लगाया। परिजनों का कहना है कि यदि समय पर उचित इलाज मिला होता, तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।

नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन

बच्चे की मौत की खबर फैलते ही भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और नेशनल हाईवे को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश लगाने की मांग की। हाईवे पर जाम के कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ, और कई वाहन घंटों तक फँसे रहे। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर भी सवाल उठाए, जिसमें झोलाछाप डॉक्टरों को बिना लाइसेंस के क्लिनिक चलाने की अनुमति देने का आरोप लगाया गया।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लटेरी पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और डॉक्टर को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। तहसीलदार और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुँचे और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और प्रारंभिक जाँच शुरू कर दी है। यह जाँच की जा रही है कि डॉक्टर के पास वैध चिकित्सा लाइसेंस था या नहीं और बच्चे की मृत्यु के सटीक कारण क्या थे।

सामुदायिक और सामाजिक प्रभाव

इस घटना ने लटेरी और आसपास के क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की समस्या को फिर से उजागर किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण और छोटे कस्बों में बिना योग्यता वाले डॉक्टर खुले तौर पर क्लिनिक चला रहे हैं, जिससे लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि इस तरह के अवैध क्लिनिकों पर पहले से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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परिजनों और स्थानीय लोगों ने माँग की है कि सरकार और प्रशासन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराए। इस घटना ने समुदाय में दुख और आक्रोश के साथ-साथ स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई है।

प्रशासन का बयान

तहसीलदार ने मौके पर मौजूद रहकर लोगों को शांत करने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि इस मामले की पूरी जाँच होगी। उन्होंने कहा, “हम इस दुखद घटना से आहत हैं। दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएँगे।” पुलिस ने भी लोगों से शांति बनाए रखने और कानून को अपने हाथ में न लेने की अपील की है।

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भविष्य की योजनाएँ

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर दबाव बढ़ गया है कि वे अवैध क्लिनिकों और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें। सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने माँग की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति में सुधार किया जाए, ताकि लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर न रहना पड़े। इसके अतिरिक्त, जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को लाइसेंस प्राप्त चिकित्सकों से ही इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जा रही है।

समुदाय की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोगों ने इस घटना को “दुखद और निंदनीय” बताया है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमारे बच्चों की जान इतनी सस्ती नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर तुरंत रोक लगाए।” परिजनों ने भी माँग की है कि बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार डॉक्टर को कड़ी सजा दी जाए। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है, और लोग स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही पर सवाल उठा रहे हैं।

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लटेरी में हुई इस दुखद घटना ने न केवल एक मासूम की जान ले ली, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को भी उजागर करती है। यह घटना प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और समाज के लिए एक चेतावनी है कि झोलाछाप डॉक्टरों की समस्या पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस मामले में जाँच और कार्रवाई कितनी तेजी और पारदर्शिता के साथ होती है।

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