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रईस
रूपईडीहा/बहराइच। भारत-नेपाल सीमा के निकट रूपईडीहा में नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल ने तस्करी के एक बड़े प्रयास को नाकाम करते हुए मोबाइल डिस्प्ले की एक बड़ी खेप बरामद की है। यह कार्रवाई नेपाल के बाँके जिले के नेपालगंज उपमहानगरपालिका के फुलटेकरा इलाके में की गई, जहाँ सशस्त्र प्रहरी बल की गश्ती टीम ने एक ई-रिक्शा से विभिन्न कंपनियों के मोबाइल डिस्प्ले जब्त किए। जब्त किए गए सामान की अनुमानित कीमत करीब 13.80 लाख नेपाली रुपये (लगभग 8.5 लाख भारतीय रुपये) आंकी गई है।
तस्करी पर सशस्त्र प्रहरी बल की प्रभावी कार्रवाई
सशस्त्र प्रहरी उपरीक्षक शोभाकान्त खनाल के नेतृत्व में बीओपी जयसपुर में तैनात गश्ती दल ने यह कार्रवाई 2 जुलाई 2025 को की। खनाल ने बताया कि गश्त के दौरान टीम ने एक संदिग्ध ई-रिक्शा (नंबर: ना 1 ह 1309) को रोकने का प्रयास किया, लेकिन चालक मौके से फरार हो गया। इसके बाद, ई-रिक्शा की तलाशी लेने पर उसमें छुपाकर रखे गए विभिन्न कंपनियों के मोबाइल डिस्प्ले बरामद किए गए। यह खेप भारत से नेपाल में तस्करी के उद्देश्य से लाई जा रही थी।
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इस कार्रवाई में सशस्त्र प्रहरी बल संख्या 30 हेडक्वार्टर बागेश्वरी, बाँके की भूमिका अहम रही। गश्ती दल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तस्करी के इस प्रयास को विफल कर दिया। जब्त किए गए मोबाइल डिस्प्ले और ई-रिक्शा को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए नेपालगंज भन्सार कार्यालय (कस्टम्स ऑफिस) को सौंप दिया गया है।
तस्करी का तरीका और महत्व
मोबाइल डिस्प्ले जैसे उच्च मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक सामान की तस्करी भारत-नेपाल सीमा पर एक गंभीर समस्या रही है। तस्कर अक्सर सीमा पर खुलेपन और कमजोर निगरानी का फायदा उठाकर इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस मामले में, तस्करों ने ई-रिक्शा का उपयोग करके मोबाइल डिस्प्ले को छुपाने की कोशिश की थी। हालांकि, सशस्त्र प्रहरी बल की सतर्कता और गश्ती दल की त्वरित कार्रवाई ने इस प्रयास को नाकाम कर दिया।
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सशस्त्र प्रहरी उपरीक्षक शोभाकान्त खनाल ने कहा, “हमारी टीमें सीमा पर लगातार निगरानी रख रही हैं। इस तरह की तस्करी न केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाती है, बल्कि अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा देती है। हमारी प्राथमिकता ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना और सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”
सामुदायिक और आर्थिक प्रभाव
इस कार्रवाई ने भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी के खिलाफ सख्ती को दर्शाया है। मोबाइल डिस्प्ले जैसे सामानों की तस्करी से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि यह स्थानीय बाजारों और वैध व्यापार को भी प्रभावित करता है। सशस्त्र प्रहरी बल की इस कार्रवाई ने स्थानीय समुदाय और व्यापारियों में विश्वास जगाया है कि अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी की चुनौतियाँ
भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाती है, लेकिन यह तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए भी चुनौतियाँ पैदा करती है। रूपईडीहा, जो एक प्रमुख सीमा पारगमन बिंदु है, अक्सर तस्करों का निशाना बनता है। सशस्त्र प्रहरी बल और भारत की सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) दोनों देशों की सीमाओं पर तस्करी, मानव तस्करी, और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। हाल ही में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हुई उच्च-स्तरीय बैठकों में सीमा पर निगरानी और संयुक्त गश्त को और मजबूत करने पर सहमति बनी है।
भविष्य की योजनाएँ
सशस्त्र प्रहरी बल ने इस कार्रवाई को अपनी नियमित निगरानी और सतर्कता का हिस्सा बताया। उपरीक्षक खनाल ने कहा कि भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयाँ जारी रहेंगी। उन्होंने स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत प्रशासन को दें, ताकि तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोका जा सके। वन विभाग और अन्य स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर सीमा क्षेत्र में जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे, ताकि समुदाय को पर्यावरण संरक्षण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जा सके।
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रूपईडीहा में सशस्त्र प्रहरी बल की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सीमा पर सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से तस्करी जैसे अपराधों पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकता है। यह कार्रवाई न केवल आर्थिक अपराधों को रोकने में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सीमा क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और समुदाय में विश्वास बढ़ाने का भी प्रतीक है।