अतुल्य भारत चेतना
रईस
रुपईडीहा/बहराइच। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित एकीकृत जांच चौकी (ICP) रुपईडीहा में बृहस्पतिवार को भारत-नेपाल सीमा सुरक्षा समिति की एक अहम बैठक आयोजित हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति, सुरक्षा, अपराध नियंत्रण, मादक पदार्थों की तस्करी, और द्विपक्षीय समन्वय को और सशक्त करना था। बैठक में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और सीमा पार अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए ठोस रणनीतियों पर चर्चा की।
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बैठक में उपस्थित अधिकारी
बैठक में नेपाल की ओर से बर्दिया जिले के जिलाधिकारी सुरेंद्र पौडेल, नेपाली पुलिस के डीएसपी चक्र डम्बर पाल, आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) के एसपी मान बहादुर शाही, बांके जिले के जिलाधिकारी धर्मराज जोशी, एसपी राम प्रसाद घर्ती, और APF के एसपी शोभाकांत खनाल शामिल थे। भारत की ओर से बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी, पुलिस अधीक्षक राम नयन सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी, उपजिलाधिकारी नानपारा लालधर यादव, पुलिस क्षेत्राधिकारी नानपारा प्रद्युम्न सिंह, क्षेत्राधिकारी मिहींपुरवा हर्षिता तिवारी, और एसएसबी 42वीं वाहिनी के कमांडेंट गंगा सिंह उदावत सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
चर्चा के प्रमुख बिंदु
बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय अपराधियों, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, और अन्य आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। दोनों देशों के अधिकारियों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमति जताई:
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संयुक्त गश्त को बढ़ावा: सीमा पर संयुक्त गश्त को और प्रभावी बनाने पर जोर दिया गया ताकि अवैध गतिविधियों पर तुरंत अंकुश लगाया जा सके।
खुफिया सूचना साझा करना: दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां खुफिया सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान करेंगी ताकि अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
थाना स्तर पर संवाद: सीमावर्ती थानों के बीच निरंतर संवाद बनाए रखने का निर्णय लिया गया ताकि स्थानीय स्तर पर समन्वय को मजबूत किया जा सके।
संयुक्त समीक्षा बैठकें: दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां हर तीसरे महीने संयुक्त समीक्षा बैठकें आयोजित करेंगी ताकि सीमा पार अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित हो।
एसएसबी कमांडेंट गंगा सिंह उदावत ने सीमा सुरक्षा के तकनीकी पक्षों पर प्रस्तुति दी, जिसमें आधुनिक तकनीकों और उपकरणों के उपयोग पर जोर दिया गया। जिलाधिकारी मोनिका रानी ने द्विपक्षीय सहयोग और समन्वय को और सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “सीमा पर शांति और सुरक्षा के लिए दोनों देशों का एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना आवश्यक है। यह बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
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सीमा सुरक्षा और अपराध नियंत्रण पर जोर
बैठक में मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, वन्यजीव तस्करी, और अन्य अवैध गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों ने इन अपराधों को रोकने के लिए सूचना साझा करने और तकनीकी रूप से सशक्त सुरक्षा उपायों को लागू करने पर सहमति जताई। इसके अतिरिक्त, सीमा के नो-मैन्स-लैंड क्षेत्रों को अपराधमुक्त करने और सीमा सुरक्षा को और व्यवस्थित करने पर भी चर्चा हुई। नेपाल की ओर से अधिकारियों ने तृतीय देशों के नागरिकों (जैसे रोहिंग्या, बांग्लादेशी, चीनी, और पाकिस्तानी नागरिकों) की अवैध आवाजाही पर चिंता जताई, जिस पर भारतीय पक्ष ने भी सहमति व्यक्त की और इस पर निगरानी बढ़ाने का आश्वासन दिया।
बैठक का माहौल और परिणाम
बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई, और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के सहयोग की सराहना की। दोनों देशों ने सीमा पार अपराधों को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने संकल्प को दोहराया। हालांकि, यह भी उल्लेख किया गया कि इस तरह की बैठकें प्रत्येक तीसरे महीने आयोजित होती हैं, लेकिन इनका धरातल पर प्रभाव सीमित रहता है। स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन को और प्रभावी करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
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यह बैठक भारत-नेपाल सीमा पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एकीकृत जांच चौकी (ICP) रुपईडीहा भारत-नेपाल व्यापार और आवाजाही का एक प्रमुख केंद्र है, और इस तरह की बैठकें दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करती हैं। मादक पदार्थों की तस्करी और मानव तस्करी जैसे गंभीर मुद्दों पर संयुक्त प्रयासों से न केवल सीमा सुरक्षा को बल मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
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रुपईडीहा ICP में आयोजित इस बैठक ने भारत और नेपाल के बीच सीमा सुरक्षा, अपराध नियंत्रण, और द्विपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। दोनों देशों के अधिकारियों ने संयुक्त गश्त, खुफिया सूचना साझा करने, और तकनीकी उन्नति पर जोर दिया। हालांकि, बैठक के परिणामों का धरातल पर प्रभावी कार्यान्वयन भविष्य में इसकी सफलता को निर्धारित करेगा। यह आयोजन दोनों देशों के बीच सहयोग और सौहार्द का प्रतीक बना, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक सकारात्मक संकेत है।