अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। इंडियन ऑयल मथुरा रिफाइनरी के 800 से अधिक संविदा श्रमिकों ने शनिवार को निराहार सत्याग्रह के माध्यम से रिफाइनरी प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। श्रमिकों ने प्रबंधन की कथित तानाशाही नीतियों और उनकी मांगों पर ध्यान न देने के विरोध में काली पट्टी बांधकर काम किया। यह सत्याग्रह पेट्रोलियम वर्कर्स यूनियन की कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स मथुरा रिफाइनरी यूनिट के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जिसमें रिफाइनरी प्लांट, रिफाइनरी नगर, रिफाइनरी अस्पताल और स्वर्ण जयंती अस्पताल के संविदा श्रमिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
श्रमिकों की मांगें
पेट्रोलियम वर्कर्स यूनियन ने 9 जून को प्रबंधन को एक मांग-पत्र सौंपा था, जिसमें निम्नलिखित मांगें शामिल थीं:
संविदा श्रमिकों के बीच पारिश्रमिक और सुविधाओं में असंवैधानिक अंतर को समाप्त करना, वर्ष 2017 से देय यातायात भत्ता (एरियर सहित) का भुगतान, जनवरी 2025 से सभी ट्रेड्स में ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट का भुगतान, अवैध रूप से पारिश्रमिक की वापसी पर रोक, निकाले गए श्रमिकों की कार्य बहाली, श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए रिफाइनरी स्तर पर एक तंत्र विकसित करना, यूनियन का कहना है कि ये मांगें लंबे समय से लंबित हैं, और रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल के कथित तानाशाही रवैये के कारण श्रमिकों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
निराहार सत्याग्रह का आयोजन
शनिवार सुबह 8 बजे से शुरू हुए इस निराहार सत्याग्रह में श्रमिकों ने पूरे दिन भोजन न करते हुए अपने कार्यस्थल पर विरोध प्रदर्शन किया। काली पट्टी बांधकर श्रमिकों ने प्रबंधन को अपनी मांगों के प्रति जागरूक करने और उनकी “कुंभकर्णीय नींद” से जगाने का प्रयास किया। यह सत्याग्रह गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित था, जिसे यूनियन के अध्यक्ष मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने “विलक्षण गांधीवादी प्रयोग” करार दिया।
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यूनियन नेताओं का बयान
यूनियन के अध्यक्ष मधुवन दत्त चतुर्वेदी, एडवोकेट, ने कहा, “रिफाइनरी प्रमुख मुकुल अग्रवाल का तानाशाही रवैया श्रमिकों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। उनकी मांगों की अनदेखी ने श्रमिकों को इस सत्याग्रह के लिए मजबूर किया है। हम उम्मीद करते हैं कि आईओसीएल मुख्यालय और रिफाइनरी प्रबंधन शीघ्र ही इन न्यायपूर्ण मांगों का समाधान करेगा। अन्यथा, श्रमिक जन-आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”
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मथुरा रिफाइनरी नगर इकाई के अध्यक्ष दिलीप दुबे ने बताया कि यूनियन ने सांसदों, राज्यसभा सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों को पत्र भेजकर श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए सहयोग मांगा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सत्याग्रह श्रमिकों की एकजुटता और उनके हक के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
समुदाय का समर्थन
इस सत्याग्रह को मथुरा के सभ्य समाज, लेखकों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, रंगकर्मियों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। यूनियन ने इन सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह समर्थन उनकी लड़ाई को और मजबूत करता है।
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प्रबंधन की प्रतिक्रिया
रिपोर्ट लिखे जाने तक इंडियन ऑयल मथुरा रिफाइनरी प्रबंधन की ओर से इस सत्याग्रह और श्रमिकों की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें शीघ्र पूरी नहीं हुईं, तो वे बड़े पैमाने पर जन-आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं।