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रईस
बहराइच। जनपद के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत दिव्यांगजनों की समस्याओं के समाधान हेतु कलेक्ट्रेट के जनता दर्शन हॉल में आयोजित मोबाईल कोर्ट में 22 प्रकरणों की सुनवाई की गई। इस दौरान विभिन्न समस्याओं, विशेष रूप से श्रवण बधिर दिव्यांगता प्रमाण-पत्र से संबंधित मामलों पर चर्चा हुई। राज्य आयुक्त, दिव्यांगजन, उत्तर प्रदेश, प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा और उपायुक्त शैलेन्द्र कुमार सोनकर ने संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के निर्देश दिए।
सुनवाई में सामने आए प्रमुख मुद्दे
मोबाईल कोर्ट में कुल 22 प्रकरणों की सुनवाई हुई, जिनमें शामिल थे:
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12 प्रकरण: दिव्यांगता प्रमाण-पत्र से संबंधित।
05 प्रकरण: पेंशन से संबंधित।
03 प्रकरण: भूमि विवाद से संबंधित।
01 प्रकरण: दिव्यांग बच्चों के लिए स्कूल खोलने से संबंधित।
01 प्रकरण: लोक निर्माण विभाग में स्थानांतरण से संबंधित।
सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि अधिकतर दिव्यांगजन श्रवण बधिर प्रमाण-पत्र के लिए के.जी.एम.यू. लखनऊ रेफर किए जा रहे हैं, जहां प्रकरणों की अधिकता के कारण लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई मामलों को जनपद श्रावस्ती के लिए रेफर किया गया। इस स्थिति का कड़ा संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) को निर्देश दिया गया कि प्रमाण-पत्र से संबंधित प्रकरणों का निस्तारण एक सप्ताह में सुनिश्चित करें।
त्वरित कार्रवाई: श्रावस्ती में परीक्षण की तिथि निर्धारित
सीएमओ बहराइच, डॉ. संजय कुमार ने तत्काल सीएमओ श्रावस्ती से संपर्क कर 20 जून 2025 को श्रवण बधिर दिव्यांगजनों के परीक्षण की तिथि निर्धारित की। इस दिन बहराइच से एक वाहन दिव्यांगजनों को श्रावस्ती ले जाएगा, जहां उनका परीक्षण कर प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी।
राज्य आयुक्त के निर्देश
राज्य आयुक्त प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा ने कहा, “मोबाईल कोर्ट का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करना है।” उन्होंने अधिकारियों को संवेदनशीलता के साथ कार्य करने और फर्जी प्रमाण-पत्र जारी होने से रोकने के निर्देश दिए। साथ ही, मेडिकल बोर्ड में नए चिकित्सकों को शामिल करने और बोर्ड की क्षमता बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता भी जन समस्याओं का त्वरित निस्तारण है।
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उपायुक्त ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
उपायुक्त शैलेन्द्र कुमार सोनकर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 13 दिसंबर 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर अभिसमय को अंगीकृत किया था, जिसमें गरिमा, स्वायत्तता, समानता, और सामाजिक भागीदारी जैसे अधिकार शामिल हैं। नए एक्ट में 21 प्रकार की दिव्यांगताओं को मान्यता दी गई है, और दिव्यांगजनों को अपमानजनक शब्दों से संबोधित करने पर एफआईआर दर्ज हो सकती है।
अन्य निर्देश
पेंशन प्रकरण: जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी को विभागीय समन्वय के साथ निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश।
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शिक्षा: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को राइट टू एजुकेशन के तहत दिव्यांग बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा गया।
उपस्थित अधिकारी
इस अवसर पर सिटी मजिस्ट्रेट राजेश प्रसाद, जिला विकास अधिकारी राज कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आशीष कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता विद्युत शैलेन्द्र कुमार, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रदीप कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रद्धा पाण्डेय, और जिला पंचायत राज अधिकारी सर्वेश कुमार पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। मोबाईल कोर्ट के माध्यम से दिव्यांगजनों की समस्याओं के त्वरित समाधान की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। समयबद्ध कार्यवाही और संवेदनशीलता के साथ निस्तारण से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने का प्रयास जारी रहेगा।