अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सौजन्य से भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ और लैंड पोर्ट अथॉरिटी, रूपईडीहा के संयुक्त तत्वावधान में 1 जून से सरस्वती विद्या मंदिर, रूपईडीहा में आयोजित नृत्य एवं गायन कार्यशाला का समापन समारोह 13 जून 2025 को भव्य रूप से संपन्न हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. उमाशंकर वैश्य, चेयरमैन, आदर्श नगर पालिका, रूपईडीहा ने प्रतिभागियों को संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमाण पत्र प्रदान किए। कार्यक्रम में कथक नृत्य और शास्त्रीय गायन की मनमोहक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया।
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कार्यशाला का विवरण
1 जून से शुरू हुई इस कार्यशाला में बच्चों और युवाओं ने कथक नृत्य और शास्त्रीय गायन की बारीकियों को सीखा। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ की प्रशिक्षक मिल्की गुप्ता ने कथक नृत्य का प्रशिक्षण दिया, जिसमें प्रतिभागियों ने विभिन्न मुद्राओं और तालों का अभ्यास किया। वहीं, शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण इति तिवारी ने प्रदान किया, जिसमें अलाप और रागों की प्रस्तुति पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देना था। सरस्वती विद्या मंदिर के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया।

समापन समारोह की झलकियां
समापन समारोह में प्रतिभागियों ने कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं और तालों का सजीव प्रदर्शन किया, जिसकी उपस्थित दर्शकों ने करतल ध्वनि के साथ प्रशंसा की। शास्त्रीय गायन के प्रतिभागियों ने रागों पर आधारित अलाप प्रस्तुत किए, जिन्हें सभी ने मुक्त कंठ से सराहा। मुख्य अतिथि डॉ. उमाशंकर वैश्य ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और उनकी प्रतिभा की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “इस तरह की कार्यशालाएं बच्चों में आत्मविश्वास जगाने और भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।” उन्होंने संस्कृति विभाग और भातखंडे विश्वविद्यालय के प्रयासों की भी सराहना की।
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सम्मान और पुरस्कार
समारोह में डॉ. उमाशंकर वैश्य ने कार्यक्रम के संयोजक सुधीर शर्मा (मैनेजर, लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया), कथक प्रशिक्षक मिल्की गुप्ता, गायन प्रशिक्षक इति तिवारी, सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अनुज कुमार सिंह, और सुश्री सोनाली को अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। सुधीर शर्मा ने संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश की विशेष सचिव और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुल सचिव डॉ. सृष्टि धवन के विशेष सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह कार्यशाला बच्चों के लिए एक अनमोल अवसर थी। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भी संस्कृति विभाग ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करता रहेगा।”
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उपस्थित गणमान्य और धन्यवाद ज्ञापन
समारोह में समाजसेवी, प्रचारक, और प्रतिभागियों के अभिभावक भारी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने प्रतिभागियों के प्रदर्शन की जमकर तारीफ की और आयोजकों के प्रयासों को सराहा। धन्यवाद ज्ञापन सरस्वती विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य अनुज कुमार सिंह ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों, प्रशिक्षकों, और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला का प्रभाव
यह कार्यशाला रूपईडीहा के बच्चों और युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हुई। कथक और शास्त्रीय गायन जैसी पारंपरिक कलाओं के प्रति रुचि बढ़ाने के साथ-साथ, इसने प्रतिभागियों में आत्मविश्वास और अनुशासन का विकास किया। स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को क्षेत्र में सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने वाला बताया।
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भविष्य की अपेक्षाएं
आयोजकों और स्थानीय लोगों ने संस्कृति विभाग से अपील की कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाएं, ताकि क्षेत्र के बच्चे और युवा अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ सकें और अपनी प्रतिभा को निखार सकें। यह आयोजन रूपईडीहा में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और बच्चों के सर्वांगीण विकास में योगदान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।