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Ratanpur news; रतनपुर में पर्यटन विकास की राह में चुनौतियाँ: तालाबों और पहाड़ियों पर अतिक्रमण, ऐतिहासिक धरोहरों की उपेक्षा

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अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप

रतनपुर/बिलासपुर। 8 जून 2025 को छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी रतनपुर की ऐतिहासिक मंदिरों, तालाबों, और पहाड़ियों की स्थिति ने एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है। राज्य सरकार ने इस नगरी को पर्यटन स्थल का दर्जा प्रदान किया है, लेकिन अतिक्रमण, अवैध उत्खनन, और प्रशासनिक उदासीनता के कारण इसकी ऐतिहासिक और पर्यटकीय संभावनाएँ धूमिल हो रही हैं।

प्रमुख समस्याएँ

1. तालाबों पर अतिक्रमण और प्रदूषण

  • रत्नेश्वर तालाब और बेद तालाब जैसे ऐतिहासिक तालाब अतिक्रमण और प्रदूषण की चपेट में हैं। तालाबों के किनारों पर अवैध निर्माण और तालाबों को पाटकर कब्जा किया जा रहा है।
  • बेद तालाब में करैहापारा मोहल्ले का गंदा नाला पानी आता है, जिससे इसका पानी दूषित हो गया है। अतिक्रमणकारियों द्वारा मलबा डालकर कब्जा किया जा रहा है, जिससे तालाब का अस्तित्व खतरे में है।
  • रत्नेश्वर तालाब के किनारे प्रस्तावित हाई स्कूल भवन निर्माण कार्य अतिक्रमण के कारण रुका हुआ है। शासन से स्वीकृत राशि उपलब्ध होने के बावजूद, नगर प्रशासन और राजस्व विभाग ने अतिक्रमण हटाने में कोई रुचि नहीं दिखाई।

2. ऐतिहासिक पहाड़ियों का विनाश

  • करैहापारा और दर्रीपारा के बीच बायपास एनएच मार्ग पर स्थित गोपल्ला वीर पहाड़ी, जो हैहयवंशी राजाओं के समय के पहलवान गोपल्ला वीर गोपालराय से जुड़ी है, अतिक्रमण और अवैध उत्खनन का शिकार हो रही है।
  • इस पहाड़ी का फुटहा हिस्सा, जिसे गोपल्ला वीर ने रतनपुर को डूबने से बचाने के लिए तोड़ा था, आज अपनी ऐतिहासिकता खो रहा है। आधे से अधिक पहाड़ी बायपास निर्माण और अवैध खनन में नष्ट हो चुकी है, और शेष हिस्से पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है।
  • वन विभाग की अनदेखी के कारण पहाड़ी का एक हिस्सा बेचा जा चुका है। इस स्थान पर स्मारक बनाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता था।

3. ऐतिहासिक मंदिरों की बदहाल स्थिति

  • बीसदुवरिया मंदिर (बैरागबन तालाब और मोतीपुर मोहल्ला में गज किला के निकट) जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। इनका जीर्णोद्धार पर्यटन विकास के लिए आवश्यक है।
  • हाल ही में गठित नगर स्तर की समिति से उम्मीद है कि ये मंदिर संरक्षित होंगे।

4. पुरातात्विक धरोहरों की उपेक्षा

  • गज किला, जूना शहर का राजा महल, बादल महल, और खो-खो बावली जैसी धरोहरों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इनका पर्यटन स्थल के रूप में विकास रतनपुर को राष्ट्रीय पहचान दिला सकता है।

समाधान के लिए सुझाव

1. नाले का पुनर्जनन

  • बड़े पुल वाले नाले को पुनर्जनन कर करैहापारा और अन्य मोहल्लों का गंदा पानी डायवर्ट किया जा सकता है। यह नाला पहले फुटहा से खारुन नदी तक जाता था।
  • नाले को नहर के रूप में विकसित कर चांपी जलाशय का पानी लाया जा सकता है, जिससे किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी।

2. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई

  • तालाबों और पहाड़ियों पर अतिक्रमण हटाने के लिए नगर प्रशासन, राजस्व विभाग, और वन विभाग को संयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए।
  • रत्नेश्वर तालाब के किनारे हाई स्कूल भवन निर्माण के लिए तत्काल अतिक्रमण हटाना जरूरी है।

3. पर्यटन विकास के लिए कदम

  • गोपल्ला वीर फुटहा स्थल पर स्मारक निर्माण।
  • तालाबों का सौंदर्यीकरण और पर्यटन स्थल के रूप में विकास।
  • बीसदुवरिया मंदिर, गज किला, और अन्य धरोहरों का जीर्णोद्धार।

तालिका: रतनपुर की प्रमुख समस्याएँ और सुझाव

स्थलसमस्यासुझाव
रत्नेश्वर तालाबअतिक्रमण, हाई स्कूल निर्माण में देरीअतिक्रमण हटाना, भवन निर्माण शुरू करना
बेद तालाबप्रदूषण, अतिक्रमण, अस्तित्व खतरे मेंगंदे नाले का डायवर्शन, सौंदर्यीकरण
गोपल्ला वीर पहाड़ीअवैध उत्खनन, अतिक्रमणस्मारक निर्माण, वन विभाग की निगरानी
बीसदुवरिया मंदिरजीर्ण-शीर्ण अवस्थाजीर्णोद्धार, पर्यटन विकास
बड़े पुल वाला नालाअस्तित्व समाप्त, प्रदूषण का कारणचिह्नांकन, पुनर्जनन, नहर विकास

रतनपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें इसे एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटकीय स्थल बना सकती हैं। हालांकि, अतिक्रमण, प्रदूषण, और प्रशासनिक उदासीनता ने इनकी संभावनाओं को कमजोर किया है। नगर स्तर की समिति और स्थानीय नागरिकों की सक्रियता से उम्मीद है कि रतनपुर की धरोहरों का संरक्षण और पर्यटन विकास होगा, जिससे यह नगरी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान स्थापित कर सके।

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