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रईस
रूपईडीहा/बहराइच। 7 जून 2025 को रूपईडीहा क्षेत्र में ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, बड़े हर्षोल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व हजरत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की अल्लाह के प्रति अटूट आस्था और त्याग की भावना को स्मरण करता है। इस अवसर पर मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष नमाज, क़ुर्बानी की रस्म, और सामुदायिक आयोजनों ने सामाजिक एकता और भाईचारे का माहौल बनाया।
ईद-उल-अजहा का महत्व
ईद-उल-अजहा इस्लाम के दो प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो धुल हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है। यह पर्व हजरत इब्राहीम की अल्लाह के प्रति निष्ठा को याद करता है, जब उन्होंने अपने पुत्र इस्माइल की क़ुर्बानी देने का संकल्प लिया था। कुरान के अनुसार, अल्लाह ने उनकी आज्ञाकारिता को स्वीकार करते हुए इस्माइल की जगह एक मेमने की क़ुर्बानी दी। यह पर्व त्याग, समर्पण, और जरूरतमंदों के प्रति उदारता का प्रतीक है। यह धुल हिज्जा के महीने में हज यात्रा के समापन के साथ भी जुड़ा है, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है।
रूपईडीहा में उत्सव
सुबह के समय, रूपईडीहा की मस्जिदों और ईदगाहों में हजारों लोग पारंपरिक परिधानों में एकत्र हुए। विशेष नमाज के बाद, इमाम के नेतृत्व में उपदेश दिया गया, जिसमें त्याग, करुणा और सामुदायिक एकता पर जोर दिया गया। नमाज के पश्चात, लोग एक-दूसरे को गले लगाकर “ईद मुबारक” की शुभकामनाएँ दीं।

क़ुर्बानी की रस्म इस पर्व का केंद्रीय हिस्सा रही। मुस्लिम समुदाय ने बकरे, भेड़ या अन्य हलाल जानवरों की क़ुर्बानी दी और गोश्त को तीन हिस्सों में बाँटा गया: एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और तीसरा जरूरतमंदों और गरीबों के लिए। कई परिवारों ने पारंपरिक व्यंजन जैसे सेवइयाँ, चना, बिरयानी, और शीर खुरमा तैयार किया। समाजसेवी संगठनों ने पेय स्टाल और भोजन वितरण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए, ताकि जरूरतमंद लोग भी उत्सव का हिस्सा बन सकें।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था
रूपईडीहा थाना प्रभारी ददन सिंह ने अपने पुलिस दल के साथ क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए। उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात कर ईद की बधाई दी और शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नगर पंचायत ने कस्बे में स्वच्छता व्यवस्था को दुरुस्त रखा, जिससे उत्सव का आयोजन सुचारु रूप से हुआ। प्रशासन की सजगता और समन्वय के कारण सभी कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए।
गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल
इस उत्सव में विभिन्न समुदायों के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदायों ने एक-दूसरे के साथ उत्सव मनाया, जिसने रूपईडीहा में गंगा-जमुनी तहज़ीब और आपसी सौहार्द की मिसाल कायम की। कई गैर-मुस्लिम परिवारों ने भी अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ उत्सव में हिस्सा लिया, भोजन साझा किया और शुभकामनाएँ दीं। यह सामाजिक एकता और सहअस्तित्व का प्रतीक बना।
तालिका: आयोजन का अवलोकन
विवरण | जानकारी |
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तिथि | 7 जून 2025 (शनिवार) |
स्थान | रूपईडीहा, बहराइच, उत्तर प्रदेश |
मुख्य गतिविधियाँ | विशेष नमाज, क़ुर्बानी, गोश्त वितरण, पारंपरिक व्यंजन, सामाजिक आयोजन |
प्रशासनिक व्यवस्था | थाना प्रभारी ददन सिंह द्वारा सुरक्षा, नगर पंचायत द्वारा स्वच्छता |
प्रतिभागी | मुस्लिम समुदाय, अन्य समुदायों की सहभागिता |
प्रमुख संदेश | त्याग, समर्पण, सामुदायिक एकता, और जरूरतमंदों के प्रति उदारता |
रूपईडीहा में ईद-उल-अजहा का उत्सव धार्मिक श्रद्धा, सामुदायिक एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब का शानदार उदाहरण रहा। थाना प्रभारी ददन सिंह और नगर पंचायत की सक्रियता ने इस आयोजन को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाया। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में प्रेम, एकता और उदारता को बढ़ावा देता है। रूपईडीहा के इस उत्सव ने एक बार फिर साबित किया कि त्याग और भाईचारे का यह पर्व सभी समुदायों को एकजुट करने की शक्ति रखता है।