अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
गंजबासौदा/मध्य प्रदेश। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चर्च वाली गली, बरेठ रोड, गंजबासौदा में एक प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ आध्यात्मिक चेतना के माध्यम से प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन स्थापित करना था। कार्यक्रम में सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी और ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने विचारों से उपस्थित लोगों को प्रेरित किया। अतुल्य भारत चेतना के ब्यूरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी ने इस आयोजन की जानकारी साझा की।

प्रकृति और मन का संतुलन: ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी
ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति ने हमें हमारी सभी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान किए हैं, लेकिन लोभ के कारण हम इसका अत्यधिक दोहन कर रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पानी की कीमत हमें तब समझ आई जब यह बोतलों में बिकने लगा, और कोविड महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी ने हमें प्राणवायु का महत्व समझाया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा आवश्यक है। इसके साथ ही, उन्होंने मन के प्रदूषण को खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया। दीदी ने सुझाव दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को जन्मदिन जैसे अवसरों पर कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रकृति हमें निस्वार्थ भाव से देती है, और हमें भी दूसरों के लिए देने की भावना रखनी चाहिए। मन की बुराइयों का कचरा साफ करने से शुभ विचार प्रकृति तक पहुंचते हैं, जो पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करते हैं।”
पेड़ लगाएं, धरती बचाएं: ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी
ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने मुख्य वक्तव्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण की अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जब हमें गर्मी लगती है, तो हम तुरंत एयर कंडीशनर खरीद लेते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते कि भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पेड़ लगाना कितना जरूरी है। यदि हम धरती को बचाना चाहते हैं, तो हमें पेड़ लगाने ही होंगे।” उन्होंने आध्यात्म और प्रकृति के गहरे संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि प्राचीन काल में लोग प्रकृति को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा करते थे, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हमने अपनी संवेदनशीलता खो दी है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरणीय संकट बढ़ रहा है, और नए पौधे लगाने की कमी इसे और गंभीर बना रही है। दीदी ने प्रेरित करते हुए कहा कि प्रकृति, पुरुष और परमात्मा का गहरा संबंध है, और हमें इस संतुलन को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयास करना होगा।
पर्यावरण संरक्षण में ऑक्सीजन की भूमिका
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि मानव जीवन का अस्तित्व वृक्षों पर निर्भर है, क्योंकि वनस्पति ही ऑक्सीजन का प्राकृतिक स्रोत है। ऑक्सीजन, जिसे प्राणवायु कहा जाता है, जीवन के लिए अति आवश्यक है। वातावरण में प्राणवायु का स्तर सामान्य बनाए रखने के लिए पेड़-पौधों का संरक्षण और वृक्षारोपण अनिवार्य है।

कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियां
कार्यक्रम के अंत में नंदनी बहन ने उपस्थित लोगों से पर्यावरण संरक्षण की प्रतिज्ञा करवाई, जिसमें सभी ने प्लास्टिक का उपयोग कम करने, जल संरक्षण, और वृक्षारोपण जैसे कदम उठाने का संकल्प लिया। अनु बहन ने पर्यावरण जागरूकता के लिए नारे लगवाए, जिसने सभी में उत्साह का संचार किया। इसके बाद, प्रकृति के प्रति शुभ संकल्प और कृतज्ञता के भाव को बढ़ाने के लिए सामूहिक मेडिटेशन सत्र आयोजित किया गया। मेडिटेशन के माध्यम से परमात्मा की शक्तियों से पर्यावरण को योगदान देने का अभ्यास कराया गया। कार्यक्रम का समापन सभी उपस्थित लोगों को पौधे भेंट करके किया गया, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक था।
पर्यावरण और आध्यात्मिकता का संगम
यह आयोजन न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि आध्यात्मिक चेतना के माध्यम से प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव को भी रेखांकित किया। ब्रह्माकुमारीज़ का यह प्रयास दर्शाता है कि पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान केवल भौतिक उपायों तक सीमित नहीं है, बल्कि मन की शुद्धता और शुभ विचार भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गंजबासौदा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता और आध्यात्मिक चेतना के संगम का एक अनूठा उदाहरण है। वृक्षारोपण, प्लास्टिक उपयोग में कमी, और मन की शुद्धता जैसे संदेशों ने उपस्थित लोगों को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में भी एक सकारात्मक योगदान देता है।