अतुल्य भारत चेतना
रईस
नानपारा/बहराइच। तहसील नानपारा के ब्लॉक शिवपुर अंतर्गत सैयद नगर में करोड़ों रुपये की लागत से निर्मित पानी की टंकी पिछले छह वर्षों से उपयोग के अभाव में मूक स्मारक बनी खड़ी है। इस टंकी का निर्माण जल निगम विभाग द्वारा हर घर नल योजना के तहत किया गया था, लेकिन ग्रामीणों को आज तक इससे शुद्ध पेयजल का लाभ नहीं मिल सका। क्षेत्र में दूषित पेयजल के कारण पेट, लीवर, और गुर्दे की बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं, और प्रशासन की अनदेखी ने ग्रामीणों की समस्याओं को और गंभीर कर दिया है।
पानी की टंकी: निर्माण हुआ, लाभ नहीं
सैयद नगर में छह वर्ष पूर्व निर्मित इस पानी की टंकी का उद्देश्य क्षेत्र के आठ मजरों—जिनमें टेढ़ी, किशोरी लाल, इस्माइल, रामपाल, साहिबे आलम, सिपाही लाल आदि शामिल हैं—को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था। वर्तमान ग्राम प्रधान ने बताया कि क्षेत्र का भूजल अत्यंत दूषित है, और घरों में लगे नलों की चौकियां इसकी गवाही देती हैं। दूषित पानी के कारण ग्रामीणों में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं, लेकिन न तो जल निगम विभाग और न ही संबंधित अधिकारियों ने इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है।
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ग्रामीणों की शिकायत और प्रशासनिक अनदेखी
ग्राम प्रधान ने बताया कि पूर्व प्रधान के कार्यकाल में इस टंकी का निर्माण हुआ था, लेकिन इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने बार-बार शिकायत की, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। टेढ़ी मजरे के निवासी किशोरी लाल, इस्माइल, रामपाल, साहिबे आलम, और सिपाही लाल ने कहा, “हमारी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार की करोड़ों की संपत्ति मूर्ति की तरह खड़ी है, लेकिन इसका कोई लाभ हमें नहीं मिल रहा।” ग्रामीणों ने जल निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
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जल जीवन मिशन की विफलता
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत ‘हर घर नल, हर घर जल’ का नारा दिया गया है। इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन सैयद नगर जैसे क्षेत्रों में इसकी हकीकत धरातल पर नहीं दिख रही। ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ गैर-जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वच्छ जल के मंसूबों को पलीता लगा रहे हैं। पानी की टंकी का निर्माण पूरा होने और भुगतान किए जाने के बावजूद पाइपलाइन और कनेक्शन का कार्य अधूरा है, जिसके कारण ग्रामीण शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
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स्वास्थ्य पर बढ़ता संकट
दूषित पेयजल के कारण सैयद नगर और आसपास के क्षेत्रों में पेट, लीवर, और गुर्दे की बीमारियों के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि भूजल में अशुद्धियाँ, जैसे आर्सेनिक और रेत, पानी को पीने योग्य नहीं बनातीं। इसके बावजूद, वैकल्पिक पेयजल व्यवस्था की कमी के कारण लोग जोखिम भरे पानी का उपयोग करने को मजबूर हैं। इस स्थिति ने न केवल ग्रामीणों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला है, बल्कि उनके जीवन स्तर को भी प्रभावित किया है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील
ग्रामीणों ने जल निगम विभाग और जिला प्रशासन से इस पानी की टंकी को चालू करने और पाइपलाइन कनेक्शन पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि समय पर कार्रवाई की गई होती, तो क्षेत्र की जनता को शुद्ध जल मिल रहा होता और वे इन बीमारियों से बच सकते थे। ग्राम प्रधान ने यह भी मांग की कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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सैयद नगर में पानी की टंकी का निर्माण तो हुआ, लेकिन इसका लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुँचा। यह स्थिति न केवल जल जीवन मिशन की विफलता को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को भी उजागर करती है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और जल निगम विभाग इस समस्या का त्वरित समाधान करें ताकि वे शुद्ध पेयजल का लाभ उठा सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें।