अतुल्य भारत चेतना
रईस
नानपारा/बहराइच। विकास खंड बलहा की ग्राम पंचायत गिरधरपुर में भीषण गर्मी के बीच गहराया जल संकट ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गया है। पंचायत में अधिकांश हैंडपंप या तो पूरी तरह खराब हैं या उनसे निकलने वाला पानी गंदा और पीने योग्य नहीं है। सरकार द्वारा नल-जल योजना और हैंडपंप मरम्मत के लिए लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों ने मरम्मत कार्यों में भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया है और खर्च हुए धन की जांच की मांग की है।
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जल संकट की गंभीर स्थिति
गिरधरपुर ग्राम पंचायत में पेयजल की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। गर्मी की तपिश में ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दूर-दराज तक भटकना पड़ रहा है। पंचायत में लगे अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हैं, और जो चालू हैं, उनसे गंदा और बदबूदार पानी निकल रहा है। नल-जल योजना के तहत बिछाई गई पाइपलाइनों से भी पानी की आपूर्ति नहीं हो रही। ग्रामीणों के अनुसार, कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हैंडपंप से पानी निकालने में घंटों लग जाते हैं, और जो पानी मिलता है, वह पीने लायक नहीं। हमें मीलों दूर से पानी लाना पड़ता है।”
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि नल-जल योजना और हैंडपंप मरम्मत के लिए आवंटित लाखों रुपये का दुरुपयोग हुआ है। मरम्मत और रिबोर के नाम पर कागजों में काम पूरा दिखाया गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। एक ग्रामीण ने बताया, “लाखों रुपये खर्च होने की बात कही जाती है, लेकिन न तो हैंडपंप ठीक हुए और न ही नल से पानी आ रहा है। यह सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है।” ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से निम्न गुणवत्ता का कार्य हुआ, जिसके चलते योजनाएं शुरू होने से पहले ही विफल हो गईं।
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महिलाओं और किसानों पर सबसे अधिक मार
जल संकट का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं और खेतिहर वर्ग पर पड़ रहा है। महिलाएं दिन का अधिकांश समय पानी की तलाश में बिता रही हैं, जिससे उनके अन्य घरेलू और आर्थिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। एक महिला ग्रामीण ने कहा, “पानी के लिए सुबह से दोपहर तक भटकना पड़ता है। बच्चों की देखभाल और घर का काम करना मुश्किल हो गया है।” किसानों का कहना है कि खेतों की सिंचाई के लिए भी पानी की कमी हो रही है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। पशुओं के लिए भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं है, जिससे पशुपालक परेशान हैं।
इंसान और पर्यावरण दोनों संकट में
जल संकट का असर केवल मानव जीवन तक सीमित नहीं है। खराब हैंडपंपों और नल-जल योजना की विफलता के कारण पशु-पक्षी भी पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी में पानी की कमी से पशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, और कई पक्षी पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
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जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से जल संकट के समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने मरम्मत और नल-जल योजना के लिए खर्च हुए धन की निष्पक्ष जांच की मांग की ताकि भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को दंडित किया जा सके। एक ग्रामीण ने कहा, “हमारी मांग है कि हैंडपंप और नल-जल योजना को तुरंत दुरुस्त किया जाए। साथ ही, जो पैसा खर्च हुआ, उसकी जांच हो ताकि सच सामने आए।” ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
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गिरधरपुर में जल संकट ने सरकारी योजनाओं की पोल खोल दी है। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद ग्रामीण पेयजल के लिए तरस रहे हैं, और भ्रष्टाचार के आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। यह स्थिति न केवल ग्रामीणों की पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करती है। अब यह जिम्मेदारी जिला प्रशासन और संबंधित विभागों की है कि वे इस संकट का त्वरित समाधान करें और ग्रामीणों को राहत प्रदान करें।