अतुल्य भारत चेतना
ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
विदिशा/मध्यप्रदेश। Vप्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, ए-33 मुखर्जी नगर, विदिशा द्वारा पुलिस लाइन क्वार्टर्स में मदर्स डे का आयोजन अत्यंत उत्साह और भक्ति के साथ किया गया। इस अवसर पर मातृत्व की महिमा और मां के निःस्वार्थ प्रेम को रेखांकित करते हुए आध्यात्मिक विचारों और भावनात्मक संदेशों का आदान-प्रदान हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में माता-बहनें उपस्थित रहीं, जिन्होंने मां के प्रेम और बलिदान को सम्मानित करने की भावना को साझा किया।

मातृत्व: दुनिया का सबसे बड़ा बलिदान
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने मातृत्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मातृत्व दुनिया का सबसे बड़ा जुआ है, लेकिन यह एक गौरवशाली जीवन शक्ति और अनंत आशावाद का कार्य है।” उन्होंने गिल्डा रेड़नर के कथन का उल्लेख करते हुए मां को परिवार का स्तंभ और रीढ़ बताया। रुक्मणी दीदी ने कहा कि एक मां सब कुछ त्यागकर और हमेशा खुश रहकर सच्चे प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करती है। “वह बिना ब्रेक लिए और चेहरे पर मुस्कान के साथ निरंतर कार्य करती है। चूंकि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने हमारे लिए मां बनाई।”
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उन्होंने मां को न केवल प्रेम का प्रतीक, बल्कि एक योद्धा के रूप में भी चित्रित किया, जो अपने परिवार को खुश रखने के लिए हर बाधा से लड़ती है। मां हर व्यक्ति की पहली शिक्षिका, मित्र, मार्गदर्शक, दार्शनिक, और यहां तक कि मनोवैज्ञानिक भी होती है। रुक्मणी दीदी ने जोर देकर कहा कि इस धरती पर मां ही एकमात्र निःस्वार्थ प्रेमी है। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि इस मदर्स डे पर मातृशक्ति को सम्मान और इज्जत देने की प्रतिज्ञा ली जाए और उनके लिए यह दिन यादगार बनाया जाए।
मां का प्रेम: अतुलनीय और निःस्वार्थ
ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने उद्बोधन में मां के प्रेम और देखभाल की अतुलनीय प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मां का प्यार और देखभाल इस दुनिया में किसी भी चीज से तुलना करने योग्य नहीं है। वह अपना पूरा जीवन बच्चों के लिए समर्पित कर देती है और बदले में कुछ भी अपेक्षा नहीं करती।” रेखा दीदी ने बताया कि व्यवहारिक रूप से हर दिन माताओं का दिन होता है, लेकिन उनके बलिदान और प्रेम का सम्मान करने के लिए मई के दूसरे रविवार को विश्व स्तर पर मदर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने यह भी चिंता जताई कि आज कई बच्चे मां के प्रेम और देखभाल को हल्के में लेते हैं और उन्हें उचित सम्मान नहीं देते। कुछ मामलों में बच्चे अपनी माताओं को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। रेखा दीदी ने कहा, “मां हमेशा अपने बच्चों के पीछे समर्थन के लिए खड़ी रहती है। यह बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों का कर्तव्य है कि वे भी मां की आवश्यकता के समय उनके साथ खड़े रहें।”
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मां: सफलता और विकास की नींव
रेखा दीदी ने मां की भूमिका को बच्चों की सफलता और विकास की नींव के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बच्चे की सफलता के पीछे मां का हाथ होता है, जो उनके सपनों को हकीकत में बदलने के लिए दिन-रात जागती रहती है।” मां जन्म से ही बच्चों को चलना, बोलना, खाना, और लिखना सिखाती है और जीवन के हर कदम पर उनका मार्गदर्शन करती है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि वे अपनी माताओं के निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद दें।

सामाजिक संदेश और प्रतिज्ञा
कार्यक्रम में मातृत्व के सम्मान के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी पर भी जोर दिया गया। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी और रेखा दीदी ने मातृशक्ति को खुश रखने और उन्हें सम्मान देने के लिए कार्य करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मां के प्रेम का बदला नहीं चुकाया जा सकता, लेकिन उनके प्रति सम्मान और देखभाल के छोटे-छोटे प्रयास उनके जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
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आयोजन का स्वरूप और सहभागिता
यह आयोजन पुलिस लाइन क्वार्टर्स, विदिशा में आयोजित किया गया, जहां बड़ी संख्या में माता-बहनें उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, ए-33 मुखर्जी नगर द्वारा किया गया। आयोजन में आध्यात्मिक विचारों के साथ-साथ मातृत्व की भावनात्मक और सामाजिक महत्ता पर चर्चा हुई, जिसने उपस्थित लोगों के मन को गहरे तक प्रभावित किया।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का योगदान
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, जो 1937 में दादा लेखराज द्वारा स्थापित किया गया था, विश्वभर में आध्यात्मिकता और सामाजिक कल्याण के लिए कार्यरत है। यह संगठन राजयोग और आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से मानव जीवन में शांति और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। विदिशा में यह आयोजन संगठन के सामाजिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों को दर्शाता है, जो मातृत्व जैसे पवित्र मूल्यों को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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विदिशा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित मदर्स डे समारोह मातृत्व के प्रति सम्मान और आभार का एक अनुपम उदाहरण रहा। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी और रेखा दीदी के विचारों ने मां के निःस्वार्थ प्रेम, बलिदान, और जीवन में उनकी अपरिहार्य भूमिका को रेखांकित किया। यह आयोजन न केवल माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर था, बल्कि समाज में मातृशक्ति को सम्मान और समर्थन देने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।